यूपीएस योजना से सहमत नहीं है केन्द्रीय कर्मचारी अधिकारी एवं कर्मचारी परिसंघ: डॉ० शहदेव राम

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रांची: अध्यक्ष केन्द्रीय कर्मचारी एवं अधिकारी परिसंघ झारखण्ड एवं विहार समिति उपाध्यक्ष डॉ० शहदेव राम ने कहा की 24 अगस्त 2024 को भारत के प्रधानमंत्री द्वारा केन्द्रीय कर्मचारियों से जुड़े संगठनों के प्रतिनिधियों से मुलाकात तो जरूर की लेकिन सभी के आशाओं में पानी फिर गया, जब केन्द्र सरकार ने पुरानी पेंशन योजना की माँग की जगह पर यीपीएस. योजना लागु कर दी। यूपीएस बहाल करना लाभकारी नहीं है, बल्कि भेद-भाव पूर्ण है, जो सरकार द्वारा अनुकूल विचार किये बिना ही लागु कर दी। इस योजना से देश के लगभग 23 लाख केन्द्रीय कर्मचारियों में उदासीनता व्याप्त है, कारण की जो योजना पेंशन के लिये लायी गयी है, उस योजना से कर्मचारियों के हित में नहीं है। वहीं दूसरी ओर 25 वर्ष पूरा करने पर पूर्ण पेंशन की योजना है। उस ओर देखा जाय तो देश के लाखों पारा मिलिट्री फोर्सेस जो अधिकतम 20 वर्षों में ही सेवानिवृत हो जाते हैं, तो इस योजना से वे वंचित हो जायेगें। दूसरी ओर देश के अनुसूचित जाति एवं जनजाति की सेवा में अधिकतम आयु 40 वर्ष रखी गई है, उस हिसाब से भी उनकी सेवानिवृति 20 वर्ष में समाप्त हो जायेगी। अतः देश के केन्द्रीय कर्मचारियों ने इस योजना को नामंजूर किया है और पूरानी पेंशन योजना लागु करने की मांग फिर से आन्दोलन की राह पकड़ लिया है। इस पेंशन योजना से विधायकों एवं सांसदों को नहीं जोड़ा गया है, जिसके कारण भेद-भाव पूर्ण निति का पर्दाफाश होता है।

प्रधानमंत्री ने केन्द्रीय कर्मचारियों की लंबित मांगों पर नजरअंदाज कर दिया है, जिसमें 01 जनवरी 2020 से 30 जून 2021 यानि 18 महिनों के बकाये महंगाई भत्ते को भुगतान करना, रिक्त पदों की बहाली करना, जिसमें 10 वर्षों के अंदर केन्द्र सरकार के संस्थानों में 10 लाख से अधिक पद रिक्त है, वहीं दूसरी ओर 10 वर्षों में सरकारी उपक्रमों को बेचने से लगभग 5 लाख से अधिक पद समाप्त हो गये हैं, जबकि 2022-23 में लगभग 1.5 लाख अनुसूचित जातियाँ एवं जनजातियों के पद समाप्त हो गये हैं। सरकार ने 8वें वेतन आयोग लागू करने के लिए अभी तक आयोग गठन का संकेत नहीं दिया है, जबकि 8वें वेतन आयोग की तिथि 01 जनवरी 2026 से लागू करना है। महंगाई भत्ते को मुल वेतन में जोड़ना, अनुकम्पा के आधार पर रोजगार में 5 प्रतिशत सीमा को हटाना, निजिकरण तथा ठिकेदारी प्रथा को समाप्त करना आदि शामिल है। उपरोक्त सभी मांगों को सरकार ने दरकिनार कर दिया है। 29 सितम्बर को दिल्ली में राष्ट्रीय स्तर की बैठक होनी जा रही है, जिसमें देशभर के कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधि भाग लेगें तथा प्रस्ताव पारित कर आंदोलन की रूपरेखा तैयार करेगें। अगर सरकार पुरानी पेंशन योजना को लागु नहीं करती है तथा लंबित मांगों को निपटारा के लिए कार्य नहीं करती है तो देश के केन्द्रीय एवं राज्य कर्मचारियों का आंदोलन फिर से शुरू होगा।