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sunil verma
रांची: सांसद संजय सेठ ने लोकसभा में झारखंड में चल रही मध्यान भोजन योजना से संबंधित सवाल किया। सांसद ने इस योजना की विशेषताएं उद्देश्य भी पूछी और झारखंड को जारी की गई राशि से संबंधित जानकारी मांगी। सांसद श्री सेठ के सवाल के जवाब में केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री अन्नपूर्णा देवी ने बताया कि पीएम पोषण योजना भारत सरकार द्वारा प्रायोजित एक योजना है, जिसके माध्यम से सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में कक्षा एक से आठवीं तक के बच्चों को पके हुए भोजन उपलब्ध कराने का प्रावधान है। इसमें यह स्पष्ट निर्देशित है कि स्कूल पोषण गार्डन भी करना है, जिसके तहत बच्चों को प्राकृतिक और बागवानी के अनुभव प्रदान करना है। लोकल को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यह स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि स्कूल के भोजन की जो भी खरीदारी हो, वह स्थानीय स्तर पर किया जाए ताकि इसके माध्यम से रोजगार सृजन भी हो सके और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिल सके। बच्चों को भोजन में वही चीज परोसनी है, जो पौष्टिक भी हो और स्थानीय स्तर पर उपलब्ध हो। केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि पीएम पोषण योजना राज्यों और संघ राज्य क्षेत्र के प्रशासन के साथ भारत सरकार की भागीदारी से कार्यान्वित की जाती है। इसमें भारत सरकार और राज्यों की सरकारों का अनुपात 60:40 होता है, वहीं पूर्वोत्तर क्षेत्र जम्मू और कश्मीर सहित हिमालय राज्यों में यह अनुपात 90:10 है। केंद्रीय मंत्री ने सदन में बताया कि इस योजना के तहत प्राथमिक कक्षाओं के साथ-साथ उच्च प्राथमिक कक्षाओं के लिए प्रति बच्चा प्रतिदिन सामग्री लागत ₹5 रुपए 45 पैसे और ₹8 रूपए 17 पैसे हैं। इसके अलावा केंद्र सरकार खाद्यान्न परिवहन सहायता और प्रबंध, परिवहन के लिए 100% वित्त पोषण उपलब्ध कराती है। केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि पीएम पोषण योजना के लिए प्रति छात्र खाद्यान्न की लागत सहित वर्तमान लागत प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तर के लिए 11.38 रुपए और 16.25 रुपए है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए केंद्रीय सहायता के रूप में भारत सरकार ने झारखंड को 245 करोड रुपए उपलब्ध कराए हैं। इसके अलावा योजना के तहत झारखंड राज्य को 80549 मिट्रिक खाद्यान्न भी आवंटित किया गया है। केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि विगत दो वर्षों में झारखंड को भारत सरकार ने लगभग 750 करोड रुपए उपलब्ध कराए हैं। वित्तीय वर्ष 2021-22 में सबसे अधिक गिरिडीह जिले को 30 करोड रुपए, रांची जिले को 20 करोड रुपए, पलामू को 28 करोड रुपए, पश्चिम सिंहभूम को 20 करोड रुपए, देवघर को 20 करोड रुपए उपलब्ध कराए गए हैं। जबकि वित्तीय वर्ष 2022-23 में गिरिडीह जिले को 34 करोड रुपए, रांची जिले को 22 करोड रुपए, पलामू जिले को 31 करोड रुपए, पश्चिम सिंहभूम को 22 करोड रुपए और देवघर को 21 करोड रुपए की राशि उपलब्ध कराई गई है।