बिना किसी दबाव के नीट परीक्षा धांधली की सीबीआई और ईडी से जांच हो : जेएमएम

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Sunil Verma

रांची : जेएमएम ने नीट परीक्षा धांधली को एक बड़ा घोटाला करार देते हुए सीबीआई और प्रभाव मुक्त ईडी जांच की मांग की है क्योंकि इसमें बड़े पैसे का लेन-देना हुआ है। झामुमो ने सवाल किया है कि क्या यही पैसा शेयर बाजार में गया। क्योंकि दोनों की तिथि एक ही है। प्रधानमंत्री अपने नाकाबिल मानव संसाधन मंत्री को तत्काल बर्खास्त करे। उक्त बातें जेएमएम पार्टी के प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने शुक्रवार को पार्टी कार्यालय में आयोजित एक प्रेस वार्ता मे कही। उन्होंने कहा कि गुजरात पैन इंडिया पेपर लीक का एक हब कोटा बन गया है, उस पर जब तक पैनी नजर न जाये, कोटा का प्रतिनिधि कौन हैं, यह सभी जानते हैं। उन्होंने कहा कि चार जून को देश के लोकसभा का परिणाम और एनटीए के द्वारा लिए गए प्री-मेडिकल एग्जाम नीट का भी रिजल्ट निकला। हमें पता चला कि रांची के एक मेधावी छात्र को 720 में 720 नंबर मिले। यह हमारे लिए यह गर्व का विषय था कि हमारे शहर का नाम पूरे देश में गौरवपूर्ण तरीके से सामने आया है। मगर कुछ देर बाद 719 और 720 का असली फिगर जब सामने आया तो पूरा देश दंग रह गया। कुछ लोग चुनाव के आपा-धापी में भूल गए थे कि बिहार, गुजरात और राजस्थान में तीन भाजपा शासित राज्यों में पुलिस ने नीट के पेपर लीक प्रकरण में कई लोगों को गिरफ्तार किया। नीट में कितने लाख करोड़ का भ्रष्टाचार हुआ, इसका पता लगाना बाकी है।यह बातें उस समय चुनावी शोर में दब गयी थी, क्योंकि उस समय 400 पार के नारे लग रहे थे, मगर सारे कुचक्र मेधावी छात्रों के भविष्य का बेड़ा गर्क कर रहे थे. उस पर किसी का ध्यान नहीं किया गया. 23 लाख बच्चे 17 से 18 साल की उम्र के, आप समझ सकते हैं दिन-रात एक कर जिन्होंने इस परीक्षा में शामिल होने का काम किया, उसके साथ केंद्र सरकार ने कितना बड़ा धोखा दिया। कितना बड़ा भ्रष्टाचार किया. उनका पहला भ्रष्टाचार 4 जून को दो बार सामने आया, एक बार जब सेंसेक्स लुढ़का, 30 लाख करोड़ के बाजार का भ्रष्टाचार सामने आया. इसके बाद नीट में कितने लाख करोड़ का भ्रष्टाचार हुआ, इसका पता लगाना बाकी है। एचआरडी मिनिस्टर देश के भावी डॉक्टरों के साथ भद्दा मजाक कर रहे हैं। सरकार गठन के बाद जब यह मामला केंद्र के पास आया तो उसके मदर डिपार्टमेंट एचआरडी मिनिस्टर धमेंद्र प्रधान ने कहा कि कहीं कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ. कहीं पेपर लीक नहीं हुआ, मगर उन्हीं के शासित राज्यों के पुलिस ने इसे उजागार किया, पेपर लीक हुआ, लोग पकड़े गये. 30 लाख से 1-1 करोड़ तक में पेपर बेचे गये. यह पूरी तस्वीर साफ करता है कि किस पैमाने पर सरकार में बैठे लोग, केंद्र आधारभूत संचरना नहीं है तो आप क्यों लेते हैं इतने बच्चों का एग्जाम। इन सभी लोगों का लिंक, कहीं न कहीं गुजरात और राजस्थान से जुड़ा हुआ है। कौन देगा इसका जवाब. एनटीए ने कहा कि हमने ग्रेस मार्क्स दिया था. क्यों दिया था, जब दिया तो कह रहे हैं कि इसे वापस लेते हैं पुन:परीक्षा लेना पड़ेगा। क्या यह स्टुडेंटस के साथ शोषण और भद्दा मजाक नहीं ।अब बोल रहे हैं कि फिर से परीक्षा दो। जो बच्चे सुप्रीम कोर्ट गये, केवल उन्हीं का वीथ ड्रा किया गया. एक तरफ बोल रहे हैं हम काऊसलिंग भी चलाएंगे। क्या इससे गुणवत्ता पूर्वक डॉक्टर आ पाएंगे तो भविष्य को हम किसको हवाले कर रहे हैं। जब आपके पास आधारभूत संचरना नहीं है तो आप क्यों लेते हैं इतने बच्चों का एग्जाम। मोदी शासन में 41 बार पेपर लीक हुए, जिसमें 17 बार केवल यूपी में कि विगत दस वर्षों के मोदी शासन काल में 41 बार पेपल लीक हुए. उसमें 17 बार यूपी में हुए केवल साढ़े सात साल में। एमपी , गुजरात , उत्तराखंड में हुआ. यह साधारण बात नहीं है. लाखों बच्चों के साथ, लाखों विद्यार्थी, जो विभिन्न तरह के प्रतियोगी परीक्षा का एग्जाम देते हैं। उनके साथ यह भद्दा मजाक किया जाता है. क्यों नहीं आज तक जो कुलीन वर्ग है, उनके दायरे में जो परीक्षाएं हैं क्या कारण है उनका पेपर लीक नहीं होता है। केवल मध्यम एवं निम्न वर्गीय लोगों के बच्चों के ही पेपर लीक क्यों। जो एक-एक पैसा जोड़कर परीक्षा देते हैं, अपना भविष्य संयोजते हैं, अपनी पीढ़ी मजबूत करने का सपना देखते हैं।