CM हेमंत सोरेन ने 107 सरकारी सहायक वकीलों को सौंपा नियुक्ति पत्र

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झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बुधवार यानी 10 मई को 107 सरकारी सहायक वकीलों को नियुक्ति पत्र सौंपा. इस दौरान उन्होंने उनसे कहा कि आप सभी अब सरकार के अभिन्न अंग के रूप में न्यायिक व्यवस्था से जुड़कर काम करने जा रहे हैं. न्याय कैसे सरल, सुलभ और कम खर्चीला हो? लंबित वादों का तेजी से कैसे निपटारा हो? गरीबों और आम लोगों को कैसे न्याय मिले? इसमें आपकी अहम भूमिका होने जा रही है.

मुख्यमंत्री ने सभी नवनियुक्त सहायक लोक अभियोजकों से कहा कि न्यायिक व्यवस्था में आप पर आम लोगों का भरोसा और विश्वास कैसे बना रहे. यह सब कुछ आपके कामों पर निर्भर करेगा. मुझे पूरी उम्मीद है कि आप अपने दायित्व का निर्वहन करेंगे.

आपके सामने कई चुनौतियां होंगी : CM

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड अलग राज्य बनने के बाद पहली बार सहायक लोक अभियोजकों की नियुक्ति हुई है. ऐसे में न्यायालयों में वादों के त्वरित निष्पादन की दिशा में आपके सामने कई चुनौतियां होंगी.  सबसे बड़ी चुनौती आपके लिए आमजन और विशेषकर गरीबों को न्याय दिलाना है. इसके अलावा जो बेगुनाह किसी न किसी वजह से जेलों में बंद हैं, उन्हें कैसे न्याय मिले, इस दिशा में आपकी अहम भूमिका होने जा रही है.

लंबित वादों की वजह से जेलों में कैदियों की बड़ी संख्या

मुख्यमंत्री ने कहा कि हम सभी इस बात से भलीभांति वाकिफ है कि यहां न्याय मिलने में कितना वक्त लगता है. वर्षों तक अदालतों में मामलों पर सुनवाई होती रहती है. इस वजह से लंबित केसों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इसी वजह से जेलों में भी कैदियों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. यह हमारे देश और हमारे राज्य  के लिए बेहतर नहीं है. लोगों को जल्द से जल्द कैसे न्याय मिले इस दिशा में हम सभी को विशेष तौर पर काम करने की जरूरत है.

कई गरीब और बेगुनाह आर्थिक अभाव में नहीं लड़ पा रहे मुकदमा

मुख्यमंत्री ने कहा कि कई गरीब और बेगुनाह लोग पैसे के अभाव में अदालतों का खर्च वहन नहीं कर पाते हैं. जिस कारण वे जेलों में ही बंद रहने को मजबूर हैं. हमारी यही कोशिश हो रही है कि लंबे समय से छोटे-छोटे केसों में जो भी लोग जेलों में बंद हैं, उन्हें रिहा करने की दिशा में सभी कानूनी सुविधाएं सरकार के द्वारा उपलब्ध कराई जाए. इस कड़ी में गरीब और जरूरतमंदों को सरकार के द्वारा वकील भी उपलब्ध कराया जा रहा है.

कानूनी जागरूकता को बल दें

मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड में गरीब, आदिवासी, दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यकों का एक ऐसा वर्ग है, जिनमें अधिकांश को कानून की जानकारी नहीं होती है. ऐसे में उनको न्याय दिलाना कितना कठिन होगा, इसे समझा जा सकता है. आप सभी ऐसे लोगों को कानूनी रूप से जागरूक करें और उन्हें सरकार द्वारा मिलने वाली कानूनी सहायता की जानकारी दें, ताकि वे न्याय से वंचित ना हो पाएं.

प्रशिक्षण में आपको स्थानीय भाषा की भी दी जाएगी जानकारी

मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड का जो भौगोलिक परिवेश है, उसमें हर जिले में अलग-अलग भाषा, रहन सहन और बोल-चाल देखने को मिलता है. विशेषकर ग्रामीण इलाकों में हिंदी से ज्यादा स्थानीय और क्षेत्रीय भाषाएं बोली और समझी जाती हैं. ऐसे में आप जब तक स्थानीय भाषा और बोलचाल को नहीं समझेंगे, उनके साथ ना तो अच्छे से संवाद कर पाएंगे और ना ही न्याय दिला सकेंगे. आपका स्थानीय भाषा को जानना- समझना बेहद जरूरी है. इस संबंध में आपको प्रशिक्षण के दौरान स्थानीय और क्षेत्रीय  भाषा की भी जानकारी मिले, इस दिशा में पहल की जाएगी.