Eksandeshlive Desk
रांची :- साहित्य अकादमी, नई दिल्ली के तत्वावधान में रांची स्थित डाॅ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में दो दिवसीय कुड़मालि भाषा सम्मेलन का आज विधिवत उदघाटन हुआ। इसमें आयोजक साहित्य अकादमी के पदाधिकारी और विश्वविद्यालय के कुलपति एवं अन्य गण्यमान्य महानुभूतियों का सभागार के मुख्य द्वार से कक्ष तक कुड़मालि विभाग के छात्र-छात्राओं द्वारा गाजे-बाजे के साथ कुड़मालि संस्कृति के अनुरूप परछन कर स्वागत कर लाया गया।
पहले दिन के इस उदघाटन सत्र का विधिवत शुभारंभ कुड़मालि की परंपरागत संस्कृति के अनुसार ‘कुड़मालि चमक’ पर अतिथियों एवं आयोजनकर्ताओं द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। इसके उपरांत विभाग के छात्र-छात्राओं द्वारा स्वागत गीत प्रस्तुत कर आगंतुकों मंचासिन को सम्मानित किया। इसमें स्वागत भाषण अकादमी की ओर से आये सचिव के. श्रीनिवासराव ने करते हुए कहा कि कुड़मालि एक स्वतंत्र भाषा है। इसकी अपनी लोक साहित्य है, लोक संस्कृति है, अपनी शिष्ट गीत है, अपनी आधुनिक रचित साहित्य, व्याकरण, सुर, ताल, लय आदि काफी समृद्ध बताया।
कार्यक्रम में उदघाटन सत्र 10:30 से 12 बजे तक चला। इस उदघाटन सत्र में इस दो दिवसीय कुड़मालि सम्मलेन के विषय प्रवेश कुड़मालि के प्राख्यात लेखक डाॅ. एच. एन. सिंह ने कुड़मालि के सभी पहलु को भूमिका में बांधा। छत्रपति शिवाजी महाराज विश्वविद्यालय, मंबई के कुलपति प्रो. (डाॅ.) केशरी लाल वर्मा ने कहा यह पहली मौका है जिसमें कुड़मालि विषय पर राष्ट्रीय स्तर पर कोई सम्मेलन होने की बात कहते हुए कुड़मालि को एक समृद्ध भाषा कहा। इन्होंने यह भी स्वीकारा कि इसके लोकगीत काफी समृद्ध बताया और इसके उधवा, डाइड़धरा, डमकच, बिहा, कुंवारी झुपान, करम, टुसु आदि गीत भरभूर होने की बात कही। कार्यक्रम के अध्यक्ष एवं आयोजक के रूप में उपस्थित डाॅ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डाॅ.) तपन कुमार शाण्डिल्य ने कुड़मालि को अंतराष्ट्रीय भाषा होने के बात पर जोर देते हुए युवाओं को कुड़मालि भाषा की प्रचार-प्रसार पर जोर देने की सलहा दिये। इसके साथ ही उन्होंने कुड़मालि के क्षेत्र-विस्तार के साथ जनसंख्या को भी बतलाया। इस उदघाटन सत्र के मंच संचालन कुड़मालि विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. परमेश्वरी प्रसाद महतो ने एवं धन्यवाद ज्ञापन साहित्य अकादमी के उपसचिव एन. सुरेश बाबु ने दिया।
इस दो दिवसीय कुड़मालि भाषा सम्मेलन के टेकनिकल सेसन का पहला सत्र में 3 आलेख पाठ प्रस्तुत किया गया। इस सत्र में सत्राध्यक्ष पश्चिम बंगाल के आये कुड़मालि विद्वान डाॅ. पुलकेश्वर महतो ने करते हुए कहा कि कुड़मालि साहित्य के अंतर कई बहुमूखी ज्ञान की राशि समाहित होने की बात कहा और इसके अंतर सामाजिक, सांस्कृतिक, स्वास्थ्य, भौगोलिक, खगोलीय ज्ञान होने की बात कही जो राष्ट्रीय स्तर पर है। डाॅ. मंजय प्रमाणिक ने कुड़मालि साहित्य के विविध पक्षों का ऐतिहासिक विश्लेषण प्रस्तुत किया। संगीता कुमारी ने कुड़मालि कथा साहित्य पर चर्चा करते हुए इसके समृद्ध शिष्ट साहित्य होने की बात कही। इस सत्र की अध्यक्षता डाॅ. एच. एन. सिंह ने करते हुए कुड़मालि भाषा को एक स्वतंत्र भाषा होने पर बल दिया और इसके व्याकरण परंपरा 100 वर्ष पूर्व से होने की बात किया। इस सत्र में कुल 3 आलेख पाठ प्रस्तुत किया गया। इनमें पहला बंगाल से आये डाॅ. सनत कुमार महतो ने कुड़मालि भाषा के वैशिष्टता पर विस्तार पूर्वक चर्चा किया। द्वितीय कथावाचक के रूप में रांची विश्वविद्यालय के सहायक प्राध्यापक डाॅ. राकेश किरण ने कुड़मालि भाषा के आधुनिक विकास के विविध आयाम को बतलाया। जिसमें फेसबुक, व्हाट्सएप, इंटरनेट आदि पर जोर दिया। तीसरा आलेख पाठ ज्ञानेश्वर सिंह ने कुड़मालि भाषा की लिपि समस्या एवं इसके समाधान पर प्रस्तुत करते हुए कहा कि वर्तमान में कुड़मालि भाषा की पठन – पाठन देवनागरी लिपि से ज्यादा हो रही है जो कि काफी व्यवहारिक है। इसको कुड़मालि भाषा के लिए भी अपनानी की आवश्यता पर जोर दिया।
पहला दिन के इस तीसरा सत्र 4 बजे से 5:30 बजे तक चला जो कि कुड़मालि संस्कृति पर आधारित सत्र था। इसके अध्यक्षता कुड़मालि साहित्यकार रतन कुमार महतो ने करते हुए कहा कि अपने बाल – बच्चों को कुड़मालि संस्कृति के प्रति जागरूक करने की जरूरत है। इसमें पहला आलेख पाठ जयंती कुमारी ने कुड़मालि समाज के परंपरागत परिधान की चर्चा विस्तारपूर्वक की। दूसरा आलेख पाठ कुड़मालि के सहायक प्राध्यापक तारकेश्वर सिंह मुंडा ने कुड़मालि संस्कृति में पाये जाने वाले पारंपरिक कला पर चर्चा किये। इसके तीसरा आलेख पाठ कुड़मालि संस्कृति में व्यवहार होने वाले परंपरागत आभूषण पर विस्तारपूर्वक चर्चा किये कि किस प्रकार पहले के जमाने में महिलायें एवं पुरूष कितने तरह के आभूषण पहना करती थी। और इन आभूषणों को सांस्कृतिक महत्व क्या था? कार्यक्रम के दूसरा दिन कुल 4 सत्र होगें जो सुबह 10:30 से लेकर शाम 5:30 तक होगी।
इस अवसर पर झारखंड, बंगाल, ओडिशा से कई प्रतिभागी, छात्र-छात्राएं, समाजकर्मी उपस्थित थे। जिनमें प्रमुख रूप से झारखंड अद्यविध परिषद के अध्यक्ष डाॅ. अनिल कुमार महतो, डाॅ. वृंदावन महतो, प्रो. सुभाष चंद्र महतो, डाॅ. पंचानन महतो आदि उपस्थित थे। इस अवसर पर कुड़मालि भाषा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष डाॅ. राजाराम महतो ने उदघाटन सत्र के मंचासिन अतिथयों को अपने स्तर पर स्वलिखित पुस्तक एवं साल देकर सम्मानित किये।