सर्दी-खांसी व बुखार के बाद इलाज कराने पहुंची थी महिला, सुई देते बिगड़ी हालत
मरीजों के जीवन से खिलवाड़ कर रहे हैं झोलाछाप, विभाग जानकार भी बने हुए है अनजान
अजय राज
प्रतापपुर(चतरा): प्रतापपुर में लगातार झोलाछाप डॉक्टर द्वारा गलत इलाज के चक्कर में लोगों की जान जा रही है परंतु ताज्जुब तो इस बात की है कि इतना कुछ होने के बाद भी शासन प्रशासन तथा स्वास्थ्य महकमा के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रहा है और वो गूंगी बहरी बनी हुई है तथा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। अगर कहा जाय तो प्रतापपुर प्रखंड में लोगों की जान की कीमत कुछ नहीं रह गई है और एक बार फिर झोलाछाप डॉक्टर के चक्कर में एक महिला की जान चली गयी है। महिला प्रतापपुर प्रखंड के जोगियारा गांव निवासी 45 वर्षीया सुमन देवी हरि प्रसाद गुप्ता की पत्नी थी। बताया जा रहा है कि योगियारा गांव के संतोष कुमार सिंह के मकान में कथित झोलाछाप डॉक्टर आलोक कुमार क्लिनिक चलाता है। घटना की जानकारी देते हुए मृतका सुमन देवी के पति ने बताया कि पत्नी को सर्दी, खांसी के साथ बुखार की शिकायत थी।जिसको लेकर उसे उक्त झोलाछाप आलोक कुमार के क्लीनिक में ले गए थे जहां इलाज के नाम पर उसे इंजेक्शन दिया गया इसके बाद पत्नी की स्थिति बिगड़ने लगी और सांस फूलने लगा साथ हीं मुंह से झाग निकलने लगा और वह बेहोश होकर गिर पड़ी।तभी अन्य लोगों की मदद से उसे आनन-फानन में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र प्रतापपुर ले जाया गया।जहां उसकी गंभीर स्थिति को देखते हुए सदर अस्पताल चतरा रेफर कर दिया गया।सदर अस्पताल पहुंचने पर चिकित्सकों ने जांच कर उसे मृत घोषित कर दिया।मामले को लेकर मृतिका के परिजनों ने थाना में लिखित आवेदन देकर दोषी झोलाछाप डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। इस संबंध में चिकित्सा प्रभारी डॉ संजीव कुमार ने बताया कि मामले की जांच की जा रही तथा आरोप सही पाये जाने पर कार्रवाई की जायेगी। वहीं खबर लिखे जाने तक अभी तक पुलिस के द्वारा कोई एफआईआर दर्ज नहीं किया गया है।बताते चलें कि पूरे प्रखंड में जहां एक ओर कई ऐसे ग्रामीण चिकित्सक हैं जो लोगों की छोटी मोटी बीमारी का इलाज कर लोगों की सेवा कर रहे हैं, वहीं कई ऐसे झोला छाप डॉक्टर हैं जो डॉक्टर के प्रोफेशन को बदनाम करते हुए बिना किसी डिग्री और पंजीयन के लगातार लोगों की जान से खेल रहे हैं। इन तथाकथित झोलाछाप डॉक्टरों के लिए प्रतापपुर जैसा पिछड़ा प्रखंड लूट खसोट के लिए सोने का खजाना है। ये दूर दराज के अन्य राज्यों से गले में एक आला तथा एक झोला तथा फर्जी ए-बी-सी-डी डिग्री लेकर आते हैं और साल- दो साल में हीं आलीशान बिल्डिंग और करोड़ों के मालिक बन बैठते हैं। और बने भी क्यों नहीं कई जन प्रतिनिधि इनके संक्षरक जो बन बैठते हैं कहीं जात के नाम पर तो कहीं समाज के नाम पर। पूरे प्रखंड में कथित झोलाछाप डॉक्टर सक्रिय हैं। यहां तक कि कई पंचायतों में ये क्लिनिक व नर्सिंग होम खोलकर दिन रात मरीजों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं चीर–फाड़ कर रहे हैं और प्रखंड से लेकर जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग जानकर भी अनजान बनी हुई हैं। इसका क्या मतलब है यह आम ग्रामीण बखूबी जानती है। प्रशासन के सह और मौन सहमति के कारण हीं इन झोलाछाप का मनोबल बढ़ा हुआ है और लोगों के जान लेने के बाद भी उसे पैसों के बल पर लीपापोती के जुगाड में लगे रहते हैं। जिस डॉक्टर को लोग भगवान का दूसरा रूप मान कर पूजते हैं उसी डॉक्टरी धर्म को चंद झोलाछाप दागदार बनाकर बदनाम कर रहे हैं। जिस पर अंकुश लगना बहुत जरूरी है। चूंकि लोगों की जान से खिलवाड़ एक गंभीर मामला है अतः जब कुछ लोगों से इस मसले पर उनका विचार जानना चाहा तो लोगों ने नाम जाहिर न करने के शर्त पर बताया कि प्रखंड के लगभग सभी पंचायतों में कई दर्जन झोलाछाप डॉक्टर धड़ल्ले से चीर फाड़ कर रहे हैं और गरीब गुरबा से मोटी रकम वसूलते हैं वहीं जब स्थिति बिगड़ने की होती है तो निजी गाड़ी से तत्काल उसे बगल के बिहार राज्य के रानीगंज इमामगंज लेकर चले जाते हैं। लोगों का यहां तक कहना है कि जब किसी पर कोई चाकू से हमला करता है तो उसपर अटैम टू मर्डर का धारा लगता है अगर कोई किसी की जान ले ले तो उसपर 302 धारा के तहत मुकदमा चलता है तो फिर बिना कोई वैध डिग्री या सर्टिफिकेट और प्रशिक्षण के तथाकथित झोलाछाप डॉक्टर द्वारा जब धड़ल्ले से पेट चिरा जा रहा है तो उस पर अटैम टू मर्डर या 302 धारा के तहत मुकदमा कर गिरफ्तार क्यों नहीं किया जाता है। मामले को लेकर लोगों ने स्वास्थ्य मंत्री, स्वास्थ्य सचिव , मुख्यमंत्री तथा मुख्य सचिव को सूचित कर तथाकथित झोलाछाव डॉक्टरों पर छापामारी करने तथा इनकी संपति की जांच एजेंसी के द्वारा कराए जाने की मांग की है।।