हजारीबाग के केरेडारी की नेत्रहीन बेटी गीता महतो भारतीय ब्लाइंड महिला क्रिकेट टीम की कर रही हैं कप्तानी

Ek Sandesh Live

Eksandeshlive Desk

हजारीबाग: वैसे तो झारखंड की रत्नगर्भा धरती ने खेल जगत को एक से बढ़कर एक रत्न दिया है। खेल के विभिन्न विधाओं में कई ऐसे नाम हैं जिन्होंने झारखंड का नाम विश्व पटल पर अपने खेल निष्ठा के विलक्षण प्रतिभा से लहराया है। क्रिकेट की अगर बात की जाए तो झारखंड ने कई बड़े नाम दिए। जिसमें भारतीय टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी, सौरभ तिवारी, वरुण एरोन, शनबाज नदीम, अनुकूल रॉय, महिला क्रिकेटर शुभलक्ष्मी शर्मा प्रमुख हैं। लेकिन नेत्रहीन क्रिकेटर की बात की जाय तो झारखण्ड के नेत्रहीन क्रिकेटर सुजीत मुंडा का नाम सबके जेहन में स्वतः आता है।

झारखंड के इतिहास में पहली महिला क्रिकेटर की बात होगी तो हजारीबाग की बेटी शुभ लक्ष्मी शर्मा हैं जिन्होंने देश का प्रतिनिधित्व किया है। इस कड़ी  में उत्तरी छोटागपुर प्रमंडल मुख्यालय हजारीबाग जिले का नाम एक बार फिर सुर्खियों में हैं जब जिले के केरेडारी प्रखंड क्षेत्र की बेटी नेत्रहीन महिला क्रिकेटर के रूप भारतीय ब्लाइंड महिला क्रिकेट टीम की कप्तानी कर रही है। नेत्रहीन महिला क्रिकेटर कोई ओर नहीं बल्कि हजारीबाग जिले के केरेडारी प्रखंड क्षेत्र के सलगा ग्राम निवासी दुखन महतो और चम्पा देवी की पुत्री गीता महतो हैं। गीता महतो का जन्म 20.07.2004 को हुआ। उनके पिता दुखन महतो फिलहाल  झारखंड की राजधानी रांची में कैटरिंग का व्यवसाय करते हैं और माता गृहणी हैं। गीता महतो के कप्तानी में भारतीय ब्लाइंड महिला क्रिकेट टीम ने हाल ही में मुंबई में आयोजित पांच दिवसीय क्रिकेट के फाइनल में नेपाल को हराकर हिंदुस्तान का परचम लहराया है। गीता महतो एक किसान परिवार से ताल्लुक रखती हैं और गीता ने शुरू से ही राजधानी रांची के संत माइकल ब्लाइंड स्कूल में अपनी पढ़ाई की है और यही से क्रिकेट खेलना शुरू किया। गीता इन दोनों दिल्ली यूनिवर्सिटी में हिंदी जनरलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन से ग्रेजुएशन भी कर रही हैं। गीता बचपन से ही धुन की पक्की और कुछ कर गुजरने का सपना लिए क्रिकेट के क्षेत्र में अपने प्रदर्शनों में निखार लाती रही। गीता एक भाई और दो बहन हैं। गीता क्रिकेट के क्षेत्र में अपना आदर्श खिलाड़ी कैप्टन कूल महेंद्र सिंह धोनी को मानती हैं। उनके चयन में क्रिकेट एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड इन झारखंड का महत्वपूर्ण योगदान है। गीता के निरंतर मेहनत और सही मार्गदर्शन के साथ परिवार का प्रोत्साहन ही उनके अबतक के सफलता का राज है ।गीता समाज के लिए प्रेरक हैं और उनके दिलेरी और जज्बे को हम सलाम करते हैं साथ ही ईश्वर से उनके उज्जवल भविष्य की कामना भी करते हैं ।