Eksandeshlive Desk
रांची : झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) की सचिवालय सहायक (सीजीएल) परीक्षा का विरोध करने के आरोप में झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (जेएलकेएम) नेता देवेंद्रनाथ महतो को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। पुलिस ने उन्हें सदाबहार चौक से हिरासत में लिया। इस दौरान पुलिस ने आंदोलनकारी छात्रों पर बल प्रयोग करते हुए लाठीचार्ज कर उन्हें भगा दिया। इससे पहले पुलिस छात्रों को समझा-बुझाकर वापस जाने को कह रही थी लेकिन वे नहीं माने। इसके बाद पुलिस ने बल प्रयोग करते हुए लाठीचार्ज किया।
जेएसएससी कार्यालय में डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन की प्रक्रिया शुरू
इससे पहले झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) की सीजीएल परीक्षा में कथित गड़बड़ी के खिलाफ छात्रों के विरोध-प्रदर्शन को देखते हुए आयोग कार्यालय के आसपास के क्षेत्र को सोमवार को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया है। चयनित अभ्यर्थी एक-एक कर डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के लिए जेएसएससी के चाय बागान नामकुम स्थित कार्यालय पहुंच रहे हैं। अभ्यर्थियों का वेरिफिकेशन शुरू है। छात्रों के प्रदर्शन को देखते हुए भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई है। आयोग कार्यालय के चारों ओर दो लेयर बैरिकेडिंग की गई है। कार्यालय तक जाने वाले सभी प्रमुख सड़कों में भी बैरिकेडिंग की गई है। नामकुम चौक, खरसीदाग चौक और रामपुर चौक पर बैरिकेडिंग कर पुलिस बल तैनात हैं। प्रवेश करने वाले एक-एक व्यक्ति से पूछताछ के बाद ही प्रवेश करने दिया जा रहा है। पत्रकारों को भी कार्यालय के पास जाने नहीं दिया जा रहा है। सभी को कार्यालय से दूर रोका जा रहा है। जेएसएससी कार्यालय और सदाबहार चौक के 500 मीटर के दायरे में निषेधाज्ञा जारी कर दी गयी है, जो 20 दिसंबर तक रहेगी। एसडीओ ने छात्रों से अपील की है कि किसी भी तरह के उग्र आंदोलन में हिस्सा न लें। किसी भी तरह की हिंसक और गैरकानूनी काम करने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
राज्य की परीक्षा प्रणाली पर लगे सवालिया निशान : आइसा
इस बीच, ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) के राज्य सचिव त्रिलोकी नाथ ने कहा कि झारखंड में जेएसएससी-सीजीएल परीक्षा परिणामों को लेकर छात्रों में व्याप्त गहरा असंतोष और आक्रोश राज्य की परीक्षा प्रणाली और सरकार की नीतियों पर गंभीर सवाल खड़े करता है। यह आंदोलन केवल परीक्षा परिणामों की पारदर्शिता और निष्पक्षता के लिए नहीं, बल्कि बेरोजगारी और भविष्य की अनिश्चितता के खिलाफ युवाओं के व्यापक संघर्ष का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि झारखंड में बेरोजगारी दर 18 प्रतिशत के आसपास है। ऐसी स्थिति में सीजीएल परीक्षा प्रक्रिया में अनियमितताएं और पारदर्शिता की कमी युवाओं के विश्वास को तोड़ रही हैं। यह न केवल उनके भविष्य को खतरे में डाल रही है, बल्कि राज्य के विकास के लिए भी गंभीर चुनौती बन रही है। आइसा मांग करती हैं कि सीजीएल परीक्षा प्रक्रिया की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच तुरंत कराई जाए। छात्रों और युवा संगठनों के साथ संवाद स्थापित कर उनकी समस्याओं का समाधान किया जाए। उन्होंने कहा कि रोजगार के नए अवसर सृजित करने के लिए स्थानीय उद्योगों और सार्वजनिक नौकरियों को बढ़ावा दिया जाए। साथ ही स्थानीय नीति बनाने के लिए विधानसभा में प्रस्ताव फिर से पारित कर केंद्र सरकार को भेजा जाए। साथ ही कहा कि छात्रों और युवाओं का यह आंदोलन झारखंड के उज्ज्वल भविष्य के लिए है। सरकार को इसे गंभीरता से लेते हुए ठोस कदम उठाने चाहिए।