चतरा का इकलौता मनोरम स्थल व झरना है तमासिन जलप्रपात

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अनुज कुमार पांडेय/रंजीत राणा

चतरा/कान्हाचट्टी: तमासीन जलप्रपात झारखंड व बिहार ही नहीं बल्कि चतरा के पर्यटकों के लिए भी स्वर्ग है। तमासीन जैसा अनुपम सौंदर्य झारखंड में शायद दूसरी जगह नहीं होगा। अनुपम सौंदर्य की वजह से ही यहां एक बार आने वाले पर्यटक बार-बार आने की इच्छा रखते हैं। सामान्य जमीनी स्थल से करीब दो सौ फीट की ऊंचाई से कई चट्टानों से टकराते हुए जलकण जमीन पर गिरकर अद्भुत मनोहरी शरगम उत्पन्न करते हैं। मानो कल-कल करती झरना कोई मधुर गीत सुना रही है। चारों ओर से हरे भरे पेड़ पौधों के बीच कलकल छलछल करते गिरने वाला झरना तमासीन प्रपात की प्राकृतिक शोभा है। जो इस स्थल को विशिष्ठ बनाने में चार चांद लगा देती है। जिला मुख्यालय से करीब 33 किलामीटर दूर कान्हाचट्टी प्रखंड के तुलबुल पंचायत में स्थित तमासीन पेड़-पौधों के रंग बिरंगे फूलों की मादकता ने जलप्रपात की शोभा को चार चांद लगा कर अद्भुत बनाया है। यहां कृत्रिम नही बलिक प्राकृतिक सौंदर्य यहां की पहचान है। गर्मी एवं ठंड के दिनों में यहां पर पर्यटकों के आने जाने का क्रम हमेशा बना रहता है। मकर संक्रांति और एक जनवरी को अप्रत्याशित भीड़ उमड़ती है। जानकारों का कहना है कि तमासीन में मनोहरी छटा तो है, साथ ही साथ आध्यात्मिक वास भी वहां पर है। सनातन धर्मावलंबियों की आस्था जुड़ी हुई है। इतिहासकारों के अनुसार तमासिन अभ्रन्स शब्द है, तमासिन दो शब्दों के मेल से बना है। तम आनी अंधकार अश्विन निवास अर्थात अंधकार में निवास करने वाले माता। यही वजह है कि लोग उसे तमासीन माता के नाम से भी जानते हैं। ऐसी बात नहीं कि चतरा के घने जंगल में स्थित इस पर्यटन स्थल पर प्राकृतिक जलप्रपात का नजारा लेने सिर्फ इसी जिले के लोग जाते हैं, अपितु वहां पर झारखंड व बिहार के विभिन्न जिलों से पर्यटक वहां की मनोहरी छटा को निहारने आते हैं। नवम्बर, दिसम्बर व जनवरी माह में जिले भर के लोग यहां आतें हैं ,जो शाम ढलते अपने अपने गंतव्य को चले जाते हैं पर दूर दराज से आने वाले पर्यटकों को ठहरने के लिए जिला प्रशासन या झारखण्ड सरकार द्वारा यहां पर कोई व्यवस्था नहीं की गई है। ऐसे में दूर दराज से आये पर्यटक यहां से दिन भर में लौट जाते हैं या फिर जिला मुख्यालय, चतरा में आकर होटल या रेस्टहाउस में जगह लेते हैं। 316 सीढि़यां के नीचे बसी है माता तमासिन तमासीन की कलकल करती झरना को देखने और माता का दर्शन को लेकर पर्यटकों को 316 सीढि़यों की दूरी तय करनी पड़ती है। पहुंच पथ व सीढि़यों का निर्माण वन विभाग द्वारा बीते चालीस वर्षो पूर्व करवाया गया है। तमासिन जलप्रपात विधि व्यवस्था को लेकर स्थानीय लोगों द्वारा प्रबंधन समिति बनाई गई है। समिति के अधिकारी व सदस्यों द्वारा पार्किंग, सुरक्षा तथा पानी व अन्य सुविधा की जाती है।