By sunil
कार्यशाला के दौरान मेधावी पुत्र-पुत्री छात्रवृति योजना के तहत श्रमिकों के बच्चों को डायरेक्ट बेनेफिट्स ट्रांसफर के जरिये छात्रवृति प्रदान की गई, जहां 17,490 छात्र-छात्राओं को 10,67,46,000 करोड़ राशि का भुगतान आॅनलाइन किया गया
रांची : राज्य में गिग वर्कर्स के लिए उचित एवं न्यूनतम वेतन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक कानून लाया जा रहा है, जो सम्भवत: देश में ऐतिहासिक और पहला राज्य झारखंड होगा । इस कार्यशाला के माध्यम से गिग वर्कर्स के लिए उचित न्यूनतम वेतन और सामाजिक सुरक्षा पर चर्चा के माध्यम से राज्य केंद्रित नीति निर्माण को तेजी गति प्रदान करना है। उक्त बातें श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने शुक्रवार को कही । वे श्रम नियोजन विभाग के द्वारा गिग वर्कर्स के सामाजिक सुरक्षा व न्यूनतम पारिश्रमिक पर झारखंड में अच्छे कार्यों को बढ़ावा पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन रांची के रेडीसन ब्लू होटल में आयोजित कार्यक्रम को दीप प्रज्वलित कर विधिवत शुभारंभ किया। इस एकदिवसीय परामर्श कार्यशाला का उद्देश्य गिग वर्कर्स के लिए उचित न्यूनतम वेतनमान एवं सामाजिक सुरक्षा पर चर्चा के माध्यम से राज्य केंद्रित नीति निर्माण को गति देना और गिग अर्थव्यवस्था के सभी हितधारकों के लिए उच्च स्तर पर उनके कार्य व अनुभवों पर आधारित अवसरों एवं चुनौतियों को साझा करने का अवसर प्रदान करना था। मुख्यमंत्री सारथी योजना के सफल उम्मीदवारों को जॉब आॅफर लेटर प्रदान किया। कार्यशाला के दौरान मेधावी पुत्र-पुत्री छात्रवृति योजना के तहत श्रमिकों के बच्चों को डायरेक्ट बेनेफिट्स ट्रांसफर के जरिये छात्रवृति प्रदान की गई, जहां 17,490 छात्र-छात्राओं को 10,67,46,000 करोड़ राशि का भुगतान आॅनलाइन किया गया। श्रमायुक्त सह मिशन निदेशक झारखंड कौशल विकास मिशन सोसाईटी संजीव कुमार बेसरा ने कार्यशाला में उपस्थित सभी प्रतिभागियों, विभागीय अधिकारियों, प्रतिनिधियों एवं दूसरे राज्यों से आने विभागीय पदाधिकारियों का स्वागत और आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि गिग वर्कर्स के लिए एक हितकारी कानून एवं नीति निर्माण की दिशा में आपके सुझाव उपयोगी साबित होंगे और हमारे प्रयास और इस प्रक्रिया को नई दिशा मिलेगी। श्रम, नियोजन, प्रशिक्षण एवं कौशल विकास विभाग के सचिव मुकेश कुमार ने कार्यशाला के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमारा देश आज के समय में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। ऐसे में हम तेजी से बढ़ रही गिग अर्थव्यवस्था में संलग्न गिग वर्कर्स को वर्क फॉर्म की किस श्रेणी में रखते हैं, ये महत्वपूर्ण है, ताकि आने वाले समय में गिग वर्कर्स को न्यूनतम वेतन, सामाजिक सुरक्षा, उचित एवं सुरक्षित काम के घंटे का भरोसा दे सकें। मिचिको मियामोतो, कंट्री डायरेक्टर, आईएलओ ने विभाग की इस पहल के लिए झारखंड सरकार की सराहना करते हुए कहा, गिग अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है और हमें इस क्षेत्र में हो रहे बदलावों से खुद को अवगत कराते रहने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि गिग अर्थव्यवस्था व्यवसाय एवं रोजगार के लिए नया आयाम साबित होगा, जहां हर तरह के लोगों के लिए चाहे वो शहरी क्षेत्र हो या ग्रामीण, रोजगार एवं आजीविका के नए अवसर प्राप्त होंगे। उक्त कार्यशाला कार्यक्रम के दौरान मोटो कण्टरी आई एल ओ डायरेक्टर मिचिको, श्रम विभाग सचिव मुकेश कुमार, कर्नाटक श्रम विभाग अपर सचिव डॉ. मंजुनाथन, तेलंगाना श्रमायुक्त डॉ ए. गंगाधर, श्रमायुक्त संजीव कुमार बेसरा, श्रम संगठनों के प्रतिनिधि गण, गिग वर्कर्स प्रतिनिधि समेत कई गणमान्य मौजूद रहे।