Eksandeshlive Desk
रांची : राजकीय संस्कृत महाविद्यालय के वरीय प्राध्यापक डॉ. शैलेश कुमार मिश्र ने रविवार को कहा कि संस्कृत का अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों को आत्म गौरव की अनुभूति होनी चाहिए। डॉ. मिश्र डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय, रांची के संस्कृत विभाग में आयोजित नवागत छात्राभिनन्दन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में विद्यार्थियों को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने विद्यार्थियों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि विद्यार्थियों को शास्त्रों के स्वाध्याय में लगे रहना चाहिए। विद्यार्थी जीवन में अनुशासन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए डॉ. मिश्र ने कहा कि अनुशासित विद्यार्थी ही जीवन में सफलता को प्राप्त करते हैं। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के प्रभारी कुलसचिव-सह-संस्कृत विभाग के अध्यक्ष डॉ. धनंजय वासुदेव द्विवेदी ने कहा कि संस्कृत केवल एक भाषा नहीं, अपितु एक सम्पूर्ण विद्याविषय, एक पूर्ण ज्ञानपरंपरा और भारतीय संस्कृति का आधारस्तम्भ है। संस्कृत में निहित शास्त्र, व्याकरण, काव्य, वेद, उपनिषद् तथा दर्शन मानव जीवन के समग्र विकास के पथप्रदर्शक हैं। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि मानव के मानसिक, चारित्रिक, नैतिक तथा वैचारिक उत्थान के लिए संस्कृत का अध्ययन सर्वथा अनिवार्य और प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि संस्कृत साहित्य में निहित शास्त्र, दर्शन और काव्य मानव जीवन को सद्भाव, सदाचार और संतुलन की दिशा प्रदान करते हैं, अतः विद्यार्थियों को चाहिए कि वे संस्कृत को केवल विषय न समझें, बल्कि चरित्र निर्माण और ज्ञान-संपदा के स्रोत के रूप में आत्मसात करें।
मारवाड़ी कालेज के प्राध्यापक एवं कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ. राहुल कुमार ने संस्कृत के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ज्ञान-विज्ञान के सिद्धान्त संस्कृत वाङ्मय में सन्निहित हैं। उन्होंने कहा कि देश और विदेश के विशिष्ट संस्थान संस्कृत के अध्यापन पर बल दे रहे हैं। डॉ. कुमार ने कहा कि संस्कृत यह शिक्षा प्रदान करती है कि मनुष्य को शारीरिक बल तथा बौद्धिक सामर्थ्य, दोनों रूपों में श्रेष्ठ, दक्ष और समर्थ बनना चाहिए। बी.एन.जे. कालेज, सिसई के संस्कृत विभाग के अध्यक्ष एवं कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ. पारंगत खलखो ने संस्कृत की दिव्यता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि विद्या ही एकमात्र ऐसा धन है जो व्यय करने पर भी बढ़ता है। विशिष्ट अतिथि अमिताभ कुमार ने इस अवसर पर विद्यार्थियों के पंचलक्षण पर प्रकाश डाला तथा जीवन में उद्यम के महत्त्व पर विस्तृत चर्चा की। विभागीय शिक्षक डॉ. जगदम्बा प्रसाद ने इस अवसर पर जीवन में समय, साहस, समर्पण, संघर्ष के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए ये सभी अनिवार्य अंग हैं। अपने स्वागत उद्बोधन में विभागीय छात्रा प्रतिमा चौहान ने कहा कि संस्कृत भारतीय ज्ञान परम्परा का आधार है। कार्यक्रम का संचालन सर्वोत्तमा कुमारी एवं भोला मिश्र ने किया। धन्यवाद ज्ञापन विभागीय शिक्षिका कुमारी जया ने किया। नवागत छात्राभिनन्दन समारोह में कीर्ति, प्रज्ञा, शिवम, दीपक और गौरव ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। सुरेन्द्र कुमार ने अतिथि परिचय का कार्य किया। अनामिका ने एकल गीत प्रस्तुत किया।
