आशुतोष झा
काठमांडू । विश्व प्रसिद्ध राम जन्मभूमि अयोध्या के महापौर महंत गिरिशपति त्रिपाठी,साध्वी मां माधवी राष्ट्रीय सेविका संघ की प्रतिनिधि, डा• ओम प्रकाश पांडे रामायण सर्किट के संयोजक तथा महापौर की धर्मपत्नी राज्य लक्ष्मी देवी त्रिपाठी ने नेपाल भारत सहयोग मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा बीरगंज महानगरपालिका के सद्भावना दूत अशोक कुमार बैद को रक्षाबंधन के पावन अवसर पर मैत्री रक्षा सूत्र बाँधकर ऐतिहासिक पहल की है। नेपाल भारत के बीच के जन संबंध को संदेशमूलक बनाए रखने हेतु इस कार्यक्रम को रक्षाबंधन के अवसर पर आयोजित किया गया। अयोध्या के महापौर के सरकारी दफ्तर में आयोजित इस गरिमामय समारोह के अवसर पर उपस्थित लोगों ने काफी सराहा। इस अवसर पर नेपाल-भारत मैत्री अमर रहे, नेपाल और भारत के ध्वज एवम सियाराम अंकित मैत्री सूत्र विशेष रूप से बनाया गया था। इस अवसर पर नेपाल भारत सहयोग मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक कुमार बैद ने कहा कि नेपाल भारत के मैत्रीपूर्ण संबंध के लिए हम सब भगवान राम और माता सीता से प्रतीक के रूप में स्वीकार करते हैं। जहां आज भी हर रोज एक नई रामायण लिखी जा रही है। श्री बैद ने आगे कहा कि नेपाल और भारत के बीच खुली सीमा है जो हमारे संबंधों को अद्वितीय बनाती है। इस सीमा को प्रेम और सद्भाव की सीमा के रूप में दुनिया में पृथक ही पहचान प्रदान करती है।
अयोध्या के महापौर गिरीशपति त्रिपाठी ने कहा रक्षाबंधन के अवसर पर हम लोग जन-संबंध को और भी आत्मीय,प्रेमपूर्ण एवम गतिशील बनाने का संकल्प लेते हैं। अयोध्या में हुए मैत्री सूत्र बंधन कार्यक्रम का व्यापक संदेश जायेगा। मौके पर विशेष तौर पर उपस्थित साध्वी मां माधवी ने कहा कि नेपाल और भारत का संबंध हिन्द महासागर की तरह गहरा है, माउंट एवरेस्ट की तरह उन्नत है। किसी तीसरी शक्ति के चाहने से भी इसमें दरारें नहीं पड़ सकतीं हैं। आपसी भाईचारा और बातचीत से हम इसे और बेहतर बनायेंगे। अपनी धर्मपत्नी प्रीति बैद के साथ सहभागी बीरगंज महानगरपालिका के सद्भावना दूत श्री बैद ने इस प्रकार के आयोजन की प्रासंगिकता की भरपूर सराहना की। इन्होंने कहा कि अयोध्या में जो भी उपलब्धि हासिल की गई है वह हमारे लिए भी प्रेरक एवं मार्गदर्शक है।
अयोध्या के महापौर गिरिशपति त्रिपाठी ने अयोध्यावासियों की ओर से नेपाल-भारत सहयोग मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा बीरगंज महानगरपालिका के सद्भावना दूत अशोक कुमार बैद को भगवान राम की मूर्ति की तस्वीर, अंगवस्त्र एवं उपहार सस्नेह दिया।