sunil Verma
रांची: सिल्क्यारा सुरंग बचाव अभियान में कोल इंडिया टीम की भागीदारी रही जिसमें मनोज कुमार सीएमडी, सीएमपीडीआई द्वारा अनिल कुमार राणा, वरिष्ठ सलाहकार (खनन) , महाप्रबंधक (बीडी) आर के अमर को सिल्क्यारा बचाव कार्य में भाग लेने के बाद सीएमपीडीआई, रांची आगमन पर सम्मानित किया गया । सिल्क्यारा सुरंग की छत गिरने की त्रासदी 12 नवंबर को हुई जब देश दीपावली का त्योहार मना रहा था। सुरंग लगभग 12.4 मीटर व्यास और 7.5 मीटर ऊंचाई और अर्धवृत्ताकार खंड वाली है। गिरने का स्थान सुरंग के सिल्क्यारा किनारे के पास था, जो सुरंग के प्रवेश द्वार से 205 मीटर से शुरू होता था और आधार पर लगभग 65 मीटर तक फैला हुआ था। टूटी हुई चट्टानों, गिरी हुई जालीदार स्टील की पट्टियों, आरसीसी बीम और कुछ सुरंग बनाने वाली मशीनरी के बड़े ढेर के कारण मलबे में प्रवेश करना बहुत मुश्किल हो गया था जिससे इस मलबे के ढेर के पीछे इकतालीस मजदूर फंस हुए थे । सबसे पहले, सुरंग स्थल पर उपलब्ध संसाधनों से मलबे को हटाने का प्रयास किया गया लेकिन मलबे का बड़ा ढेर अपने आप में बहुत बड़ी बाधा साबित हुआ। बाद में विभिन्न सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र की एजेंसियां कार्रवाई में शामिल हो गईं। बचाव कार्य में लगी एजेंसियों को सहायता प्रदान करने के लिए आॅस्ट्रेलिया के माइक्रो-टनलिंग विशेषज्ञ, श्री अर्नोल्ड डिक्स भी साइट पर उपस्थित थें। चूँकि कोल इंडिया लिमिटेड ने अपने काम की प्रकृति के कारण अतीत में विभिन्न आपदाओं और साहसपूर्ण बचाव कार्यों का सामना किया है। इस तरह के सबसे उल्लेखनीय कार्यों में से 16.11.89 को ईसीएल के महाबीर कोलियरी से 65 श्रमिकों को बचाने का कार्य शामिल रहा है। अत: ऐसी आपदाओं से निपटने में कोल इंडिया लिमिटेड के ज्ञान और बचाव कार्यों में उनके अनुभव को ध्यान में रखते हुए, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा कोयला मंत्रालय के माध्यम से एक टीम का अनुरोध किया गया था। श्री एके राणा, वरिष्ठ सलाहकार (खनन), पूर्व निदेशक (तकनीकी), सीएमपीडीआई के नेतृत्व में डब्ल्यूसीएल से श्री दिनेश बिसेन, जीएम, बचाव और श्री एम. विष्णु उप प्रबंधक (खनन) की तीन अधिकारियों की एक टीम को 21 नवंबर, 2023 को सुरंग स्थल भेजा गया । चूँकि नौ दिन पहले ही बीत चुके थे और एनडीआरएफ, एसडीआरएफ ( उत्तराखंड ), राष्ट्रीय राजमार्ग अवसंरचना विकास प्राधिकरण, ओएनजीसी, सतलज जल विद्युत निगम लिमिटेड , रेल विकास निगम लिमिटेड, राइट्स, बीआरओ, भारतीय सेना (मद्रास रेजिमेंट) के विशेषज्ञों की टीम सहित विभिन्न एजेंसियां काम कर रहीं थीं और बचाव कार्य के लिए योजनाएँ और विभिन्न विकल्प बना रहीं थीं। कोल इंडिया टीम के पास अंडरग्राउंड ड्राइवेज कार्य में विशेषज्ञता थी जो कि सुरंग ड्राइवेज कार्य के समान है लेकिन आकार में छोटा है, कैप्सूल का डिजाइन जिसका उपयोग महाबीर कोलियरी में किया गया था, गैस डिटेक्टरों का उपयोग ताकि सुरक्षा के लिए पर्यावरण की निगरानी की जा सके। साइट पर चौबीसों घंटे कई डीजल चालित मशीनें काम कर रहीं थीं। बाद में गुरुवार 23 नवंबर को टीम में सिस्मोग्राफ के साथ डॉ. आरडी द्विवेदी के नेतृत्व में सीआईएमएफआर की तीन सदस्यीय टीम शामिल हुई ताकि सुरंग के दोनों किनारों के साथ-साथ सुरंग के प्रस्तावित ऊर्ध्वाधर ड्रिलिंग स्थल पर कंपन स्तर की निगरानी जा सके। सीआईएल टीम के आगमन के समय, मलबे के ढेर में प्लान ‘ए’, जो सिल्क्यारा छोर से आॅगर मशीन द्वारा क्रमश: 0.9-मीटर, 0.8 मीटर और 0.7 मीटर व्यास के दूरबीन तरीके से तीन पाइप डालकर बनाई गई क्षैतिज सुरंग की ड्रिलिंग है; पर काम चल रहा था और जिसमें काफी प्रगति हुई थी। इस बात पर आम सहमति थी कि यह सबसे तेज और सबसे सुरक्षित विकल्प है। लेकिन लगभग 24 मीटर लंबाई में 0.9 मीटर व्यास का पाइप टूट गया। आगर मशीन द्वारा क्षैतिज पाइपों को चलाने की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न होने की स्थिति में उपलब्ध विभिन्न विकल्पों के लिए प्रशासनिक स्तर पर कई चचार्एँ हुईं। इन बैठकों में कोल इंडिया टीम ने भाग लिया।