झारखंड में अब तक 3 नियोजन नीति तीनों रद्द, नई से छात्रों को आस

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झारखंड विधानसभा में 27 फरवरी से बजट सत्र चल रहा है. 13 मार्च को झारखंड सरकार नई नियोजन नीति को विधानसभा के पटल पर पेश करेगी. ये हेमंत सरकार द्वारा लाई गई दूसरी नियोजन नीति है. झारखंड निर्माण के 22 साल में 3 नियोजन नीति आई लेकिन एक भी नियोजन नीति टिक नहीं पाई. इस बाबत झारखंड की हेमंत सरकार नई नियोजन नीति ला रही है.

पहली नियोजन नीति

साल 2000 में झारखंड राज्य का निर्माण हुआ और बाबूलाल मरांडी मुख्यमंत्री बने. बाबूलाल नें 1932 के आधार पर नियोजन नीति बनाई और राज्य में इसे लागू कर दिया. इस नीति में स्थानीय को 73 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान था लेकिन झारखंड हाई कोर्ट ने इस नियोजन नीति को असंवैधानिक बताकर रद्द कर दिया.

दूसरा नियोजन नीति

रघुवर दास के सरकार ने स्थानीय नीति के साथ नियोजन नीति बनाई और 14 जुलाई 2016 को नई नीति को लागू कर दिया. नई नियोजन नीति में 13 जिलों को अनुसूचित और 11 जिलों को गैर अनुसूचित श्रेणी में रखा गया. आने वाले 10 सालों के लिए इस नीति को लागू किया गया था. इस नीति में 13 अनुसूचित जिलों में ग्रुप-सी और ग्रुप-डी की नौकरी उसी जिले के निवासी को ही मिलेगा. दरअसल 13 अनुसूचित जिलों में आरक्षण 100 प्रतिशत था. इसी मामले को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई. याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि अधिकतम आरक्षण सीमा 50 प्रतिशत है, सरकार 100 प्रतिशत आरक्षण नहीं दे सकती है. रघुवर सरकार ने मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई लेकिन उच्चतम न्यायालय से भी कोई राहत नहीं मिली.

हेमंत सरकार की नियोजन नीति रद्द

झारखंड में 2019 में  यूपीए गठबंधन के तहत हेमंत सोरेन की सरकार आई और 3 फरवरी 2021 को सरकार ने यह फैसला लिया कि पुरानी नियोजन नीति को रद्द कर सरकार नई नियोजन नीति लाएगी. क्योंकि तत्कालीन सरकार ने 11 और 13 जिलों में अलग-अलग नियम लागू कर राज्य को बांटने का काम किया है, जो गलत है.

साल 2021 में हेमंत सरकार ने नई नियोजन नीति को लागू किया. इस नए नीति के अनुसार जिन छात्रों ने झारखंड से दसवीं और बारहवीं की पढ़ाई की है, उन्हें ही इस नई नियोजन नीति से लाभ प्राप्त होगा. साथ ही हिंदी और अंग्रेजी को हटाकर जिलेवार क्षेत्रीय भाषाओं और ऊर्दू को जगह दिया गया. इसके खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई. हाई कोर्ट ने इस नीति को असंवैधानिक बताते हुए कहा कि यह समानता के खिलाफ है, और 17 दिसंबर 2022 को फैसला आने के बाद यह नीति भी रद्द हो गई.

छात्रों को भुगतना पड़ा खामियाजा

झारखंड राज्य के निर्माण से लेकर अब तक 3 नियोजन नीति आई और तीनों रद्द हो गई. इससे झारखंड के छात्रों को सरकारी नौकरी मिलने में बहुत परेशानी हुई. क्योंकि जब-जब कोई भी नियोजन नीति के आधार पर बहाली निकली तो किसी ना किसी मामले में फंस गई और छात्रों के सपने अधर में लटक गए. जो छात्र सरकारी नौकरी की तैयारी करते हैं, उन्हें अगर कुछ मिला तो सिर्फ आश्वासन, कुछ अच्छा होने के वो सपने जो शायद तब पूरे हो जब उनकी परीक्षा में बैठने की उम्र खत्म हो जाए. आने वाले नए नियोजन नीति से छात्रों को आस तो है लेकिन देखना ये होगा कि क्या ये नई नीति छात्रों का उद्धार कर पाएगी.

रिपोर्ट : ऋषभ गौतम, रांची

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