Ashutosh Jha
काठमांडू: विश्व हिन्दू महासंघ के आह्वान पर शुक्रवार को काठमांडू में धार्मिक रैली निकाली गयी। नेपाल में बढ़ती जा रही अराजकता, धर्मान्तरण, कला संस्कृति, पहचान व राष्ट्रीय एकता को खंडित करने वाले कार्यों में बेतहाशा बढ़ोतरी के विरुद्ध विश्व हिन्दू महासंघ को अंतरराष्ट्रीय समिति ने शुक्रवार को काठमांडू में रैली निकाली। विश्व हिन्दू महासंघ की अंतरराष्ट्रीय समिति की कार्यवाहक अध्यक्ष अस्मिता भंडारी की अध्यक्षता में यह कार्यक्रम आयोजित हुआ। रैली में शामिल हजारों लोग धर्म निरपेक्षता खारिज हो, हिन्दू अधिराज्य कायम करो, साँस्कृतिक हस्तक्षेप बंद हो, सनातन धर्मावलंबियों पर हो रहे दमन बंद करो, राष्ट्रीय एकता खंडित करने का कार्य बंद हो, जय श्री राम, जय श्री कृष्ण जैसे गगनभेदी नारा लगा रहे थे। रैली माईती घर मण्डल से प्रारंभ होकर बानेश्वर पहुंचकर एक कोण सभा में परिणत हो गयी थी। कोणसभा को राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के नेता तथा प्रतिनिधि सभा सदस्य धवल शमशेर राणा, विश्व हिन्दू महासंघ की राष्ट्रीय समिति के उप सभापति अरुण कुमार पाण्डे, जानकी मंदिर के उत्तराधिकारी राम रोशन दास, पूर्व गृहमंत्री बुद्धिमान तामांग, पूर्व मंत्री पशुपति शमशेर जबरा, प्रकाश चन्द्र लोहनी, राप्रपा नेपाल के तारानाथ लुईटेल, नेपाल के लिए नेपाली के सुशील चन्द्र अधिकारी आदि ने संबोधित किया। इस रैली में माता कल्याणी आश्रम, राप्रपा नेपाल,राष्ट्रीय सरोकार मंच नेपाल, शाही युवा शक्ति, वाइजु राजु महिला समिति, नेपाल जैन परिषद, गुरुनानक गुरुद्वारा, जानकी मंदिर,जनकपुर, राममंदिर वैरागी अखाड़ा, लक्ष्मी नारायण मठ, मठियानी,ज्योतिष परिषद, पशुपति महिला नित्य आरती परिवार, सनातन धर्म सेना नेपाल, राष्ट्रीय नागरिक संघर्ष समिति सहित विभिन्न धार्मिक, हिन्दूवादी राष्ट्रवादी संघ संगठनों के प्रतिनिधियों ने वर्तमान में नेपाल में बढ़ती राजनीतिक अराजकता के कारण अबतक स्थायी शांति स्थापित नहीं हो पाने की स्थिति पर घोर चिन्ता व्यक्त की। कोणसभा में वक्ताओं ने लोकतांत्रिक संविधान द्वारा समग्र नेपाल की जनता में 81 प्रतिशत हिन्दू धर्मावलंबी तथा 94 प्रतिशत से अधिक, ऊंकार परिवारों द्वारा अपनत्व महसूस नहीं किए जाने को हास्यास्पद और आश्चर्यजनक बताया। वक्ताओं ने कहा कि हाल ही में गठित सरकार में शामिल दो प्रमुख राजनीतिक दलों ने नेपाल में संविधान संशोधन को प्रमुख मुद्दा बनाया है। वक्ताओं ने कहा कि संविधान संशोधन होने की स्थिति में नेपाल को हिन्दू अधिराज्य घोषणा करने की सर्वग्राही आवश्यकता है। इसी क्रम में वक्ताओं ने नेपाल में वैदिक सनातन धर्म के उपर किसी भी प्रकार का आक्षेप असह्य होने तथा अवांछित गतिविधि पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने का नेपाल सरकार से मांग की है।