क्या झारखंड में 2024 का लोकसभा चुनाव साथ लड़ेगी महागठबंधन?

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देश में 2024 के मध्य में लोकसभा के चुनाव होने हैं. ऐसे में देश का राजनीतिक पारा एक साल पहले यानी 2023 से ही गर्म हो चुका है. सभी पार्टियां अपनी-अपनी तैयारियों में लग चुकी है. भाजपा की ओर से अभी ही लोकसभा चुनाव की पूरी तैयारी कर ली है. पार्टी ने राज्यों से लेकर जिले, प्रखंड और बूथ तक, कार्यकर्ता कैसे काम करेंगे, किसकी क्या जिम्मेदारी होगी सभी तय कर ली गई है. वहीं, दूसरी तरफ ऐसा माना जा रहा था कि 2024 लोकसभा चुनाव विपक्ष की सभी पार्टियां एक होकर लड़ेंगी. लेकिन फिलहाल ऐसा होता दिख नहीं रहा है. ऐसे में हम आज बात करेंगे झारखंड में महागठबंधन की स्थिति पर.

झारखंड में भी विपक्ष अस्थिर!
वहीं, बात अगर झारखंड राज्य की करें तो यहां भी विपक्ष की परिस्थिति लगभग वैसी ही है. हां, ये अलग बात है कि झारखंड में कांग्रेस, जेएमएम और राजद तीनों ही मिलकर सत्ता चला रही है. लेकिन पार्टी नेताओं के बयान लगातार उनके बीच के मतभेद को साफ दर्शा रही है. झारखंड कांग्रेस के अध्यक्ष राजेश ठाकुर पर पार्टी नेता लगातार आरोप लगा रहे हैं.
झारखंड कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आलोक दूबे ने प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर पर आरोप लगाया कि उन्हें राजनीतिक समझ नहीं है. उन्हें सिर्फ अपनी वाह-वाही सुनने की आदत है. इसके अलावा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ नेता लाल किशोर नाथ शाहदेव भी प्रदेश अध्यक्ष पर खुलकर हमला करते दिखे हैं. उन्होंने कहा कि राजेश ठाकुर के प्रदेश अध्यक्ष रहते राहुल गांधी कभी प्रधानमंत्री नहीं बन सकते हैं.

रामगढ़ उपचुनाव में कांग्रेस की हार विवाद की वजह?
ऐसा नहीं है कि झारखंड कांग्रेस में रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव में हार के बाद विवाद शुरू हुआ है. दरअसल, जब झारखंड में कांग्रेस आलाकमान ने 4 दिसंबर, 2022 को नई जिला अध्यक्षों की लिस्ट भेजी, जिसके बाद भी विवाद हुआ. पार्टी के कई नेता उस दौरान भी राजेश ठाकुर के खिलाफ गोलबंद हो गए थे. पार्टी नेताओं ने आरोप लगाया कि राजेश ठाकुर ने अपने करीबिओं को जिला अध्यक्ष बना दिया है. इसके अलावा आरोप यह भी लगा कि लिस्ट में एक भी अल्पसंख्यक और महिला को जगह नहीं दी गई थी. आरोप और विरोध के 48 घंटे के अंदर ही आलाकमान ने चार जिलों के अध्यक्षों को पद से हटाकर नए लोगों को अध्यक्ष बनाया गया, इसमें रामगढ़, गढ़वा, साहिबगंज और कोडरमा जिलें शामिल हैं.

नई लिस्ट में इन्हें मिली जगह

  1. रामगढ़ में पहले शांतनु मिश्रा को अध्यक्ष बनाया गया था, जिसके बाद उनकी जगह पर मुन्ना पासवान को जिला अध्यक्ष बनाया गया.
  2. गढ़वा में पहले श्रीकांत तिवारी को अध्यक्ष बनाया गया था, जिसके बाद उनकी जगह पर अब्दुल्ला हक अंसारी को जिला अध्यक्ष बनाया गया.
  3. साहिबगंज में पहले अनिल कुमार ओझा को अध्यक्ष बनाया गया था, जिसके बाद उनकी जगह पर बरकतुल्ला खान को जिला अध्यक्ष बनाया गया.
  4. कोडरमा में पहले नारायण वर्णवाल को अध्यक्ष बनाया गया था, जिसके बाद उनकी जगह पर भागीरथ पासवान को जिला अध्यक्ष बनाया गया.
                                                                                                                                                                                                                                                  झारखंड में महागठबंधन का रुख अभी तक साफ नहीं                                                                                                                                                                  बता दें कि अब सभी राजनीतिक पार्टियां अपनी तैयारियों के साथ-साथ गठबंधन को लेकर अपना रुख साफ कर रही है. झारखंड में भाजपा और आजसू के साथ में चुनाव लड़ने की संभावना है. दोनों पार्टियों के नेता कई बार इस बात को खुलकर नहीं लेकिन इशारों-इशारों में कहते नजर आए हैं. लेकिन झारखंड में महागठबंधन क्या करेगी, इसपर अभी तक किसी बड़े नेता का बयान नहीं आया है. हालांकि, कांग्रेस के कई नेता सार्वजनिक जगहों पर सीएम हेमंत सोरेन की तारीफ करते हैं लेकिन यह कहना फिलहाल मुश्किल है कि पार्टी 2024 में साथ आएगी या नहीं?
                                                                                                                                                                                                                                                    भाजपा के चाणक्य की झारखंड पर नजर
    भाजपा ने झारखंड में लोकसभा चुनाव के लिए तैयारियां शुरू कर दी है. देश के गृह मंत्री और भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह झारखंड पर खुद नजर बनाए हुए है. कोडरमा से खोरठा को अपनी ओर करने की शुरूआत के साथ-साथ देवघर से संथाली आदिवासियों को भी अपनी ओर लाने के लिए अमित शाह ने रैलियां शुरू कर दी है. जबकि, झारखंड में ना तो कांग्रेस ने और ना ही किसी अन्य दलों ने अपनी रणनीति पर खुलकर बात की है. ऐसे में फिलहाल तक तो यह साफ है कि महागठबंधन की किसी भी पार्टी ने 2024 के लिए क्या करना है वो सार्वजनिक नहीं किया है.

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