Eksandeshlive Desk
रांची। दुग्ध उत्पादन के मामले में भारत दुनिया में प्रथम स्थान रखता है और विश्व के कुल दुग्ध उत्पादन का 24% भारत में होता है। दूध उपलब्धता का प्रति व्यक्ति वैश्विक औसत 322 ग्राम है जबकि भारत में प्रति व्यक्ति 427 ग्राम दूध उपलब्ध है।ये बातें बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के पशुचिकित्सा संकाय के अधिष्ठाता डॉ सुशील प्रसाद ने हंसडीहा, दुमका स्थित बीएयू के फूलो जानो मुर्मू दुग्ध प्रौद्योगिकी महाविद्यालय में आयोजित राष्ट्रीय दुग्ध दिवस को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि दूध कैल्शियम, फास्फोरस और विटामिन का प्रमुख स्रोत है तथा दूध और दुग्ध उत्पादों के नियमित उपभोग से हड्डी और इम्यूनिटी मजबूत होती है तथा हृदय एवं रक्तवाहिकाओं संबंधी स्वास्थ्य सुदृढ़ होता है। भारत में श्वेत क्रांति के जनक डॉ वर्गीज कुरियन के जन्मदिवस पर वर्ष 2014 से हर साल 26 नवम्बर को राष्ट्रीय दुग्ध दिवस मनाया जाता है।
विशिष्ट अतिथि रविंद्र नाथ टैगोर कृषि महाविद्यालय के एसोसिएट डीन डॉ असीम कुमार मंडल ने कहा कि दूध का प्रतिदिन सेवन करने से मनुष्य के संज्ञानात्मक गिरावट में भी कमी आती है। वर्ष 2022-23 में देश में 221 मिलियन मेट्रिक टन दूध का उत्पादन हुआ जो किसी भी देश से अधिक है।
डेयरी टेक्नोलॉजी महाविद्यालय के एसोसिएट डीन डॉ आलोक कुमार पांडेय ने कहा कि यह दिवस बनाने का उद्देश्य आम लोगों को दूध के फायदे के प्रति जागरूक करना है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा गठित झारखंड मिल्क फेडरेशन द्वारा 48000 किसानों से लगभग 1.8 लाख लीटर दूध प्रतिदिन एकत्र किया जाता है तथा मेधा ब्रांड का वार्षिक टर्न ओवर लगभग 350 करोड रुपए का है। वर्ष 2016-17 में स्थापित बीएयू के डेयरी टेक्नोलॉजी कॉलेज से अब तक 63 डेयरी स्नातक डिग्री लेकर निकल चुके हैं जो विभिन्न डेयरी प्लांट्स और मिल्क फेडरेशन में सेवा दे रहे हैं। इस अवसर पर डॉ एनोस केरकेट्टा तथा डॉ अमित झा भी उपस्थित थे। मंच संचालन द्वितीय वर्ष के छात्र तुषार कुमार और रिया ने किया। तृतीय वर्ष की छात्रा अर्शिया नाज तथा द्वितीय वर्ष के छात्र दिव्यांशु कुमार ने भी मिल्क डे पर अपने विचार रखे। छात्र-छात्राओं ने नागपुरी डांस भी प्रस्तुत किया।