आदिवासी सरना समाज अपने वैवाहिक परंपरा को भूलते जा रहे हैं: शनिचरण उरांव

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भंडरा/लोहरदगा: भंडरा प्रखंड अंतर्गत गडरपो पंचायत के सात पड़हा कुंडुख लुरकुड़िया परिषद में रविवार को सात पड़हा केंद्र पलमी की बैठक पड़हा के दीवान शनिचरण उरांव की अध्यक्षता में संपन्न हुई। बैठक में मुख्य रूप से आदिवासी सरना समाज में होने वाले विवाह (संस्कार) रीति रिवाज परंपरा पर विशेष रूप से चर्चा पर चर्चा किया गया। आदिवासी समाज का विवाह कार्यक्रम का शुरुआत मार्गशीर्ष (अगहन) दिसंबर माह से शुरू होता है। तथा चैत्र माह में विवाह का रस्म को अशुभ माना जाता है, इसके पश्चात वैशाख माह में विवाह पवित्र माना जाता है। इसी प्रकार किस माह में विवाह पवित्र होता है और किस माह में अशुभ होता है इसको लेकर विस्तार से चर्चा किया गया। आदिवासी सरना रीति रिवाज के अनुसार, परंपरा अनुसार ही शादी विवाह कराने पर विचार किया गया। मौके पर दीवान शनिचरण उरांव ने कहा कि आए दिन बाहरी तत्व, अन्यत्र रीति रिवाज हमारे सरना रीति रिवाज पर हावी होता जा रहा है। इसका मुख्य कारण है हमारे ही लोग दूसरे रीति रिवाज को अपनाकर अपने परंपरा को भूलते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारे समाज के लिए हमारे पूर्वज काफी कम खर्च में विवाह रश्म में सम्मिलित रीति रिवाज, नेग- चार को बनाया। ताकि परिवार में किसी भी तरह का विवाह कार्यक्रम में अत्याधिक बोझ ना पड़े। सरना समाज में किसी भी तरह का दहेज प्रथा नहीं है इसलिए कम खर्चे में अच्छे रिश्ते बन जाते हैं। उन्होंने कहा कि आजकल के पढ़े-लिखे और संपन्न आदिवासी सरना समाज के लोग दिखावे में आकर अपनी विवाह की परंपरा को भूल रहे हैं, जो की आने वाले समय में यह एक बहुत बड़ी समाज के लिए खतरा बन जाएगा। बैठक में शामिल समाज के अन्य अगुवा लोगों ने भी सरना समाज में हावी हो रहे अन्यत्र रीति रिवाज से परहेज करने की अपील की। बैठक में विचार किया गया कि सात पड़हा केंद्र पलमी में आने वाले 13 गांव के पाहन, पुजार, महतो सहित अन्य समाज के अगुवा लोगों को विवाह कार्यक्रम को लेकर दो दिवसीय प्रशिक्षण देने पर सहमति बनी। जिससे कि उन्हें विवाह करने के लिए सही तौर तरीका का प्रशिक्षण दिया जा सके। बैठक में निर्णय लिया गया कि प्रशिक्षण कार्यक्रम को लेकर अगली बैठक 14 दिसंबर को उक्त स्थल पर ही की जाएगी। जिसमें आदिवासी सरना समाज के लोगों को इस बैठक में शामिल होने की अपील की गई। बैठक में मुख्य रूप से लेटे उरांव, जितिया उरांव, बबलू उरांव, छोटू उरांव, बिरसु उरांव, गंगा उरांव, जीतराम पाहन उरांव, मंगरा पाहन, बिरसु उरांव, गोवर्धन उरांव, संजय उरांव सहित अन्य शामिल थे।