sunil Verma
रांची : संत जेवियर्स कॉलेज में अर्थशास्त्र विभाग और आईक्यूएसी द्वारा गौरव-गरिमा के साथ विकास: आदिवासियों के सन्दर्भ में विषय पर व्याख्यान का आयोजन और जेवियर इकॉनोमिक सोसाइटी का गठन गुरूवार को किया गया । आयोजित व्याख्यान में अर्थशास्त्र विभाग ने स्पष्ट करते हुए गौरव-गरिमा के साथ विकास: आदिवासियों के संदर्भ में पर प्रकाश डालते हुए जनजातीय स्थिति एवं भूमिका को स्पष्ट करने का प्रयास किया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. कुजूर द्वारा आदिवासी विकास पर चर्चा, मुख्यधारा के विकास प्रतिमान के विपरीत, जिसमें आर्थिक विकास’ पर जोर दिया जाता है व सामाजिक, सांस्कृतिक आर्थिक, आध्यात्मिक, राजनीतिक, पर्यावरणीय और मानवाधिकार आयामों को ध्यान में रखते पर चर्चा की गई। प्राचार्य डॉ. एन. लकड़ा, एस.जे. ने अपने वक्तव्य में अर्थशास्त्र की भूमिका बताते हुए कहा कि बिना अर्थशास्त्र के हम कुछ भी नहीं सोच सकते हैं। तत्पश्चात उन्होंने यह भी कहा कि विकास की दशा व दिशा सुनिश्चित होनी चाहिए जिससे किसी का अहित ना हो सके संवैधानिक मौलिक शिक्षा का ज्ञान भी जरूरी है। अर्थशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ मारकुस बारला ने डॉक्टर मारियानुस कुजुर एस.जे. की शिक्षा के बारे में विस्तृत जानकारी दी , साथ ही उनका दृष्टिकोण छात्रों के बीच व्यावहारिक सीख , प्रतिभा एवं नव-विचारों को प्रदर्शित करना और भूमिकाएँ विकसित करना है। डॉ धीरजमणि पाठक ने छात्रों के लिए सांस्कृतिक गतिशील आकांक्षाएं और सामान्य संसाधनों के आदान-प्रदान की बात कही।
कार्यक्रम में आमंत्रित मुख्य वक्ता डॉक्टर जोसेफ मारियानुस कुजुर, एस.जे. ने जनजातियों के पिछड़ेपन का एक बड़ा कारण खुद की पहचान को स्थापित न कर पाया । उन्होंने जनजातीय स्थिति को जनसंख्या के आधार पर दशार्ते हुए एक आंकड़ा प्रदर्शित किया , जिसमें 2001 की जनजातीय जनसंख्या को 84 मिलियन बताया, और 2011 की जनजातीय जनसंख्या के आधार पर 121 मिलियन बताया है। उन्होंने बताया कि सरकार की बहुत सी योजनायें इसलिए सफल नहीं हो पाती क्योंकि मानव विकास को ज्यादा तव्वजो न देते हुए उसके आर्थिक विकास पर ध्यान देते हैें।