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रांची: डायबिटीज केयर सेंटर शीतल कुंज और कश्यप मेमोरियल आई हॉस्पिटल संयुक्त रूप से डायबिटिज मरीजों की नेत्र नि:शुल्क जांच शिविर का 20 तक आयोजन कर रहा है। वर्ल्ड डायबिटीक वीक (14 से 20 नवम्बर) में आल इंडिया नेत्र सोसाइटी की पहल पर चेक इयरली सी क्लेअरली नाम से इसका आयोजन किया गया है। झारखंड नेत्र सोसाइटी एवं और रिसर्च सोसाइटी फॉर द स्टडी आॅफ डायबिटीज इन इंडिया, रांची चैप्टर के संयुक्त प्रयास से यह किया जा रहा है। दूर दराज के इलाकों में भी लगेगा शिविर होगी । जांच चेयरमैन साइंटिफिक कमिटी, झारखंड नेत्र सोसाइटी डॉ. भारती कश्यप ने कहा दूर दराज इलाकों में भी यह शिविर 14 से 20 नवम्बर तक लगाया जा रहा है। हमारा फोकस वैसे इलाकों तक भी पहुंचना है जहां आसानी से स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं पहुंच पाती। डायबिटीज की वजह से दृष्टिहीनता होती है। बड़े तीन कारण होते हैं, आँखों के बीच में मैक्युला में सूजन या विट्रियस हेमरेज या आँखों के पर्दे का अपने जगह से खिसक जाना।
डॉक्टर भारती कश्यप ने कहा अकडर डायबीटिक रेटिनोपैथी स्क्रीनिंग अध्ययन 2019 में डायबीटिक के शुरूआती दौर में 6/18 या उससे बेहतर रोशनी वाले 22 प्रतिशत मरीजों में डायबीटिक रेटिनोपैथी शुरू हो जाती है लेकिन मरीज को इसका कोई लक्षण नहीं होता है। इसी वजह से मधुमेह वाले सभी व्यक्तियों को वार्षिक रेटिना या व्यापक पूर्ण नेत्र जाँच करानी बहुत जरूरी है। डायबीटिक रेटिनोपैथी की संख्या उन मरीजों में 77.8% थी जिन्हें 15 वर्ष से अधिक वर्षों से मधुमेह था। गुर्दे की बीमारी से ग्रसित और सेरेब्रो वैस्कुलर एक्सीडेंट से प्रभावित डायबिटीज के मरीजों में डायबीटिक रेटिनोपैथी का प्रतिशत ज्यादा था। डायबिटीज से होने वाले मोतियाबिंद का आॅपरेशन करने के बाद रोशनी वापस आ जाती है। ग्लूकोमा को भी दवा से या सर्जरी से ठीक किया जा सकता है। लेकिन डायबीटिक रेटिनोपैथी का इलाज अगर समय पर नहीं किया गया तो रोशनी हमेशा के लिए जा सकती है। डायबीटिक रेटिनोपैथी में रोशनी जाने का मुख्य कारण होता है आंखों के परदे के बीच के भाग मैक्यूला में सूजन होना या विट्रियस हेमरेज होना या आंखों के पर्दे का अपने जगह से खिसक जाना।