जब तक देश में एकल राष्ट्रवाद की बुनियाद रहेगी, तब तक नेपाल का भला होना संभव ही नहीं : राजेंद्र महतो

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आशुतोष झा

काठमांडू : नेपाल के पूर्व उपप्रधानमंत्री तथा सद्भावना पार्टी के अध्यक्ष राजेन्द्र महतो ने कहा है कि जब तक देश में एकल राष्ट्रवाद की बुनियाद रहेगी, तब तक नेपाल का भला होना संभव ही नहीं है। महतो ने यह उक्ति काठमांडू के राष्ट्रीय सभा गृह में आयोजित एक पत्रकार सम्मेलन में दी। इनका कहना है कि नेपाल में जब तक बहुल राष्ट्रवाद अपनाया नहीं जाता तब तक इस देश की जनता को राहत नहीं मिल सकती। नेपाल में जबतक कम्युनिस्टों, नेपाली कांग्रेस तथा माओवादी शासन रहेगा तब तक बहुल राष्ट्रबाद की कल्पना ही नहीं की जा सकती। महतो ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में जारी एक विशेष बयान में कहा कि बहुल राष्ट्रवाद के हिमायती कम्युनिस्ट, कांग्रेस, माओवादी पार्टी सहित अन्य दलों में भी हैं जिनको एक मंच पर लाने के लिए वे नेपाल वासियों का आह्वान करते हैं। महतो का आरोप है कि नेपाल में अब तक जितनी भी शासन पद्धति चलती रही, सबने देश पर पश्चिमी राष्ट्रों की सभ्यता-संस्कृति को फलने-फूलनेका भरपूर अवसर दिया जिससे नेपाल की मौलिक पहचान खत्म हो गई है। नेपाल के लोग अपनी मौलिकता की पुन: प्राप्ति के लिए छटपटा रहे हैं लेकिन शासन व्यवस्था उन्हें इसका अधिकार नहीं दे रही है। नेपाल के अबतक के शासकों ने नेपलियों के भीतर भारत को गाली देकर अपने वोट बैंक बनाए हैं जिससे उनका खोखलापन स्पष्ट रूप से उजागर हो गया है। महतो में नेपाल की सुधि जनता से अपील की है कि वह नेपाल के शासकों की स्वार्थ से प्रेरित मंशा को समझें तथा उनके खिलाफ एकजुट हो जाएं।इन्होंने राष्ट्रीय मुक्ति क्रांति को नेपाल की अपरिहार्य आवश्यकता बताते हुए कहा कि जब जब नेपाल में जन आंदोलन हुए तत्कालीन शासकों ने इसे नकारा बताकर इसका दमन कर दिया। तराई मधेश या थरुहट आंदोलन हुए तो नेपाल की सरकार ने आंदोलनकारियों को बर्बरता पूर्वक तरीके से गोलियों को भून डाला। आंदोलनों के प्रमुख नेताओं को गिरफ्तार कर नजरबंद कर दिया गया े मधेश में निहत्थे आंदोलनकारियों पर दमन चक्र चलाया। तराई मधेश तथा थरूहट आंदोलन में सैकडों शहीद हुए। मधेश में गजेन्द्रनारायण सिंह तथा रघुनाथ ठाकुर आदि ने, हिमालयी व पहाड़ी क्षेत्रों में गोरे बहादुर खापान्गी,एम एस थापा, गोपाल गुरुंग ने नेपाल में विद्रोह का बिगुल फूंका तथा नेपालियों में आत्मसम्मान जाग्रत करने का अथक प्रयास किया ेतत्कालीन शासकों ने इनके फन कुचल डाले । परिणाम यह कि नेपाल गुलाम मानसिकता से अबतक निकल नहीं पाया है। उल्लेखनीय है कि नेपाल अब तक किसी देश या साम्राज्य का गुलाम नहीं रहा है। महतो का आरोप है कि नेपाल के शासकों ने पश्चिमी राष्ट्रों की सभ्यता संस्कृति को नेपालियों को अंगीकार करने की खुली छूट दी। भारत विरोधी भावना को हवा देकर अपनी गोटी लाल करते रहे। महतो उपप्रधानमंत्री के अतिरिक्त नेपाल सरकार के पाँच बार कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं।महतो ने खास बातचीत में कहा कि एकल राष्ट्रवाद की छद्मता के कारण नेपाल अभी तक सभी नेपालियों का बन हीं नहीं पाया है। इनका कहना है कि बहुल राष्ट्रीय राज्य व्यवस्था के निर्माण के बगैर नेपाल को बबार्दी से बचाने का दूसरा विकल्प ही नहीं है।महतो इस अभियान के लिए नेपाल में जनसंपर्क कर रहें हैं तथा लोगों को जाग्रत कर रहें हैं।