किसी भी समाज के विकास में शिक्षकों का बेहद महत्वपूर्ण योगदान होता है: उपायुक्त

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KETU SINGH

रामगढ़: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग से प्राप्त निर्देश के आलोक में मंगलवार को जिला शिक्षा कार्यालय द्वारा चितरपुर प्रखंड अंतर्गत राजकीय शिक्षण एवं प्रशिक्षण महाविद्यालय चितरपुर के सभागार में “सेंसटाइजेशन ऑन कंप्रिहेंसिव मैन्युअल फॉर सेफ्टी एंड सिक्योरिटी फ़ॉर चिल्ड्रन इन स्कूल इंक्लूडिंग साइबर सेफ्टी विषय पर जिले के शिक्षकों के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में उपायुक्त रामगढ़ चंदन कुमार ने हिस्सा लिया। इस दौरान उपायुक्त, जीसीईआरटी से उपनिदेशक कमला सिंह, जिला शिक्षा पदाधिकारी नीलम शर्मा एवं राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग से इला सिंह एवं सोमासी ने दीप प्रज्वलित कर विधिवत रूप से कार्यशाला का शुभारंभ किया।

कार्यशाला के दौरान उपायुक्त ने कहा कि किसी भी समाज के विकास में उस क्षेत्र के शिक्षकों का बेहद महत्वपूर्ण योगदान होता है। एक शिक्षक न केवल बच्चों को शिक्षा देता है, बल्कि आने वाले समय में बच्चों को किस प्रकार से अपना व समाज का विकास करना है तथा समाज में किस प्रकार से व्यवहार करना है इसमें भी शिक्षक का बहुत बड़ा योगदान होता है। कार्यशाला के दौरान उपायुक्त ने वर्तमान समय में अत्याधुनिक तकनीक व मनोरंजन के विभिन्न संसाधनों के बीच बच्चों में रचनात्मक तरीके से नैतिकता विकसित करने के लिए बच्चों को पाठ्यक्रम के साथ-साथ नैतिक शिक्षा देने अपील की। साथ ही कार्यशाला के दौरान उपायुक्त ने कहा कि कई बार बच्चों के साथ गलत हो रहा होता है पर सही जानकारी अथवा जागरूकता के अभाव में वे काफी लंबे समय तक पीड़ित रहते हैं। इसमें भी शिक्षकों का योगदान बहुत जरूरी है बच्चों को उनके अधिकारों के बारे में पता होना चाहिए वहीं उनमें सही और गलत की पहचान करने की भी क्षमता होनी चाहिए ताकि किसी भी समय अगर वे खुद को असहज महसूस करे तो तुरंत इसकी जानकारी वे सही व्यक्ति तक पहुंचा सकें। साइबर सिक्योरिटी विषय पर बात करते हुए कार्यशाला के दौरान उपायुक्त ने कहा कि वर्तमान में मनोरंजन के अनगिनत संसाधन उपलब्ध हैं जहां उनका एक सकारात्मक पहलू है वहीं आधुनिक तकनीक के माध्यम से फैलने वाली नकारात्मकता पर भी इनकार नहीं किया जा सकता। वर्तमान समय में लगभग सभी बच्चों के पास मोबाइल फोन होता है जिसका इस्तेमाल वे अपने ज्ञान को बढ़ाने व मनोरंजन के लिए करते हैं। लेकिन ऐसे कई उदाहरण है जिनमें यह देखा गया है कि साइबर सिक्योरिटी की सही जानकारी नहीं होने के कारण काफी गंभीर परिणाम सामने आए हैं। मौके पर उपायुक्त ने सभी शिक्षकों से बच्चों के साथ-साथ उनके अभिभावकों को भी अपने बच्चों पर ध्यान रखने एवं बच्चों द्वारा किए जा रहे किसी भी सही व गलत कार्य का आकलन करने के प्रति जागरूक करने की अपील की।