Eksandeshlive Desk
रांची : झारखंड के पलामू जिले में स्थित बालिका गृह में बच्चियों के साथ यौन शोषण की घटना पर भाजपा ने राज्य सरकार पर जमकर हमला किया है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता अजय साह ने इस गंभीर घटना को राज्य के तंत्र और प्रशासन की विफलता करार देते हुए हेमंत सरकार पर कठोर आरोप लगाए हैं।
इसकी जांच उच्च न्यायालय के न्यायाधीश से कराई जानी चाहिए
साह ने रविवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि बालिका गृह में उन बच्चियों को रखा जाता है, जो पहले ही यौन अपराधों का शिकार हो चुकी होती हैं। सरकार का उद्देश्य उन्हें वहां सुरक्षित वातावरण देना होता है लेकिन यदि वही स्थान अपराध का केंद्र बनता है, तो यह स्पष्ट है कि रक्षक ही भक्षक बन गए हैं। साह ने यौन शोषण की इस घटना को गंभीर अपराध बताते हुए कहा कि मीडिया रिपोर्ट्स से पता चला है कि बालिका गृह में बच्चियों पर अधिकारियों को खुश करने का दबाव बनाया जा रहा था। उन्होंने सवाल उठाया, “यह जानना जरूरी है कि ये अधिकारी कौन थे। यह मामला एक उच्च स्तरीय जांच का विषय है और इसकी जांच उच्च न्यायालय के न्यायाधीश से कराई जानी चाहिए।”
सरकार की कार्यक्षमता व प्रशासनिक जिम्मेदारी पर गंभीर सवाल
उन्होंने कहा कि बालिका गृह पर बाल कल्याण समिति, जिला कलेक्टर और कल्याण विभाग का नियंत्रण होता है। ऐसे में यह घटना सरकार की कार्यक्षमता और प्रशासनिक जिम्मेदारी पर सवाल खड़े करती है। साह ने यह भी याद दिलाया कि तीन साल पहले राजधानी रांची के एक बाल गृह में भी इसी प्रकार का मामला सामने आया था लेकिन राज्य सरकार ने इससे कोई सबक नहीं लिया। उन्होंने कहा कि यह घटना राज्य सरकार की बच्चों की सुरक्षा के प्रति उदासीनता को उजागर करती है। उन्होंने कहा, हाई कोर्ट के दबाव के बाद ही तीन साल पहले झारखंड राज्य बाल संरक्षण आयोग का गठन किया गया। इसके बावजूद पिछले एक साल से आयोग के अध्यक्ष का पद खाली पड़ा है, जो सरकार की लापरवाही को दर्शाता है। साह ने पलामू की घटना की तुलना बिहार के कुख्यात मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड से करते हुए कहा कि इस मामले में दोषी अधिकारियों और कर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि घटना की उच्च स्तरीय जांच और निष्पक्ष कार्रवाई से ही बच्चियों को न्याय मिल सकता है।