Eksandeshlive Desk
राची : ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान के उद्घाटन के मौके पर प्रखंड प्रशासन ओरमांझी और बेड़ो में बाल विवाह के खिलाफ काम कर रहे गैरसरकारी संगठन सिंदुआर टोला ग्रामोदय विकास विद्यालय के साथ मिलकर जागरूकता कार्क्रम का आयोजन किया और लोगों को बाल विवाह के खिलाफ शपथ दिलाई। सिंदुआर टोला ग्रामोदय विकास विद्यालय बच्चों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए देश के 400 से भी ज्यादा जिलों में काम कर रहे 250 से भी ज्यादा गैरसरकारी संगठनों के गठबंधन जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) की सहयोगी सदस्य संस्था है।
पीड़िताओं ने भी भागीदारी की और बाल विवाह के खिलाफ शपथ ली
इस मौके पर ओरमांझी और बेडो प्रखंड में हुए समारोह में उपस्थित पदाधिकारियों ने महिलाओं, स्वास्थ सहिया, आंगनबाड़ी सेविका, एएनएम और पंचायत प्रतिनिधियों व अन्य को बाल विवाह के खिलाफ शपथ दिलाई। जिले में जगह-जगह हुए कार्यक्रमों में बड़ी संख्या में ग्रामीणों, पंचायत प्रतिनिधियों, आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, शिक्षकों, बाल विवाह निषेध अधिकारी (सीएमपीओ) के अलावा बाल विवाह पीड़िताओं ने भी भागीदारी की और बाल विवाह के खिलाफ शपथ ली। यह कार्यक्रम देश से बाल विवाह के खात्मे के लिए भारत सरकार के बाल विवाह मुक्त भारत’ के आह्वान के समर्थन में किया गया, जिसका उद्घाटन 27 नवंबर को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने किया। उन्होंने पंचायतों और स्कूलों को बाल विवाह के खिलाफ शपथ दिलाई। उम्मीद की जा रही है कि जल्दी ही शपथ लेने वालों की संख्या 25 करोड़ तक पहुंच जाएगी। इस मौके पर बाल विवाहों की सूचना व शिकायत के लिए एक राष्ट्रीय पोर्टल भी शुरू किया गया। इस मौके पर प्रखंड विकास पदाधिकारी कामेश्वर बेदिया ने कहा कि बाल विवाह के खात्मे के लिये जरूरी है इच्छा शक्ति की और मुखर होकर आवाज उठाने की है।
आज भी देश में 23 प्रतिशत से ज्यादा लड़कियों का होता है बाल विवाह
सिंदुआर टोला ग्रामोदय विकास विद्यालय के सचिव राजेन कुमार ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बाल विवाह के खात्मे के लिए महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय की ओर से शुरू किया गया अभियान इस बात का सबूत है कि सरकार इस सामाजिक बुराई की गंभीरता से अवगत है। आज भी देश में 23 प्रतिशत से ज्यादा लड़कियों का बाल विवाह होता है जो न सिर्फ जीवनसाथी चुनने के उनके अधिकार का हनन है बल्कि इससे लड़कियों की शिक्षा, स्वास्थ्य के साथ रोजगार और आर्थिक निर्भरता की उनकी संभावनाओं पर भी बेहद बुरा असर होता है। सरकार की योजना इस अभियान में सभी हितधारकों को साथ लेकर चलने की है और ‘जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन’ का सहयोगी संगठन होने के नाते हम इसमें पूरी तरह साथ हैं। वर्षों से बाल विवाह के खिलाफ काम करने के नाते हम भली भांति जानते हैं कि समग्र और समन्वित प्रयासों के बिना यह लड़ाई नहीं जीती जा सकती। लेकिन अब हमें विश्वास है कि सरकार और नागरिक समाज के साझा प्रयासों से भारत 2030 से पहले ही बाल विवाह के खात्मे के लक्ष्य को हासिल कर सकता है।” इसी उपलक्ष में संस्था ने ओरमांझी पंचायत के ओरमांझी गांव में वृहत कैंडल मार्च निकाला, जिसमें महिलाओं, युवकों/युवतियों ने भाग लिया। साथ ही ओरमांझी और बेड़ो प्रखंड के 75 गांवों में बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के तहत कैंडल मार्च निकाला गया और बाल विवाह के विरुध शपथ दिलाई गई। कार्यक्रम में लगभग 5000 लोगों ने बाल विवाह के विरुध शपथ ली।