आरजी कर मामले में सिविक वॉलंटियर संजय रॉय को उम्रकैद की सजा

WEST BENGAL

Eksandeshlive Desk

कोलकाता : पश्चिम बंगाल के बहुचर्चित आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में महिला डाक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले में सियालदह कोर्ट ने सोमवार को अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने आरोपित सिविक वॉलंटियर संजय रॉय को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। जज अनिर्बाण दास ने आदेश दिया कि संजय को अपनी बाकी की जिंदगी जेल में ही बितानी होगी।सीबीआई के वकील ने इस मामले को ‘रेयर ऑफ द रेयरेस्ट’ करार देते हुए फांसी की सजा की मांग की थी। उन्होंने तर्क दिया कि पीड़ित एक डॉक्टर थीं, जो ड्यूटी पर थीं। यह न केवल परिवार की, बल्कि पूरे समाज की क्षति है। वहीं, संजय के वकीलों ने फांसी विरोध करते हुए दलील दी कि कानून के तहत दोषी को सुधारने का मौका दिया जाना चाहिए। जज ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि दोषी को उम्रकैद की सजा दी है। इसके तहत दोषी को आपको अपनी आखिरी सांस तक जेल में रहना होगा।

पीडि़त के माता-पिता बोले-संजय अकेला दोषी नहीं

सियालदह कोर्ट के 210 नंबर कोर्टरूम में सुरक्षा के कड़े इंतजामों के बीच सुनवाई हुई। जज अनिर्बाण दास ने दोपहर 2:45 बजे अपना अंतिम फैसला सुनाया। इससे पहले संजय ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा कि उसे फंसाया जा रहा है। सजा के ऐलान से पहले पीड़ित के माता-पिता कोर्ट पहुंचे। उन्होंने कहा कि यह उनकी कानूनी लड़ाई का पहला कदम है। उनका मानना है कि संजय अकेला दोषी नहीं है। इस मामले में किसी प्रभावशाली व्यक्ति को बचाने की कोशिश की जा रही है। उल्लेखनीय है कि गत नौ अगस्त 2024 को आरजी कर मेडिकल कालेज और अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात एक महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या की गई थी। इस घटना के विरोध में राज्य और देश भर व्यापक आंदोलन हुए थे। मामले में दोषी संजय रॉय, जो अस्पताल में सिविक वॉलंटियर के तौर पर कार्यरत था। उसे गिरफ्तार किया गया था। पहले इस मामले की छानबीन राज्य पुलिस कर रही थी। बाद में उसे सीबीआई के हवाले कर दिया गया था।

ममता बोलीं- फांसी होती तो मन को सुकून मिलता

आरजी कर मामले में दोषी संजय रॉय को उम्र कैद की सजा सुनाए जाने पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने असंतोष जाहिर किया है। उन्होंने कहा कि वह कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने दावा किया कि यदि यह मामला उनके पास होता तो दोषी को फांसी की सजा दिलवा देते। मालदा जिले के दौरे पर पहुंचीं ममता बनर्जी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि वह अदालत के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं। यदि यह मामला हमारे पास होता तो हम बहुत पहले ही फांसी की सजा दिलवा देते। मैं नहीं जानती कि सीबीआई ने इस मामले को कैसे लड़ा और क्या तर्क दिए, लेकिन मुझे संतोष नहीं मिला। फांसी होती तो मन को सुकून मिलता। ममता ने यह भी कहा कि आरजी कर मामला बेहद गंभीर है। उन्होंने अपनी बात रखते हुए जयनगर, फरक्का और गुड़ाप के दुष्कर्म-हत्या मामलों का जिक्र किया, जहां पुलिस ने जांच पूरी कर दोषियों को फांसी की सजा दिलवाई थी। ममता बनर्जी ने सीबीआई की कार्यशैली पर अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा कि हम चाहते थे कि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले, लेकिन यह मामला हमारे हाथ से लेकर सीबीआई को सौंप दिया गया। उन्होंने कहा कि सीबीआई पर उन्हें भरोसा था, लेकिन वे उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी। मुख्यमंत्री ममता ने राज्य पुलिस की तारीफ करते हुए कहा कि जयनगर, फरक्का और गुड़ाप मामलों में पुलिस ने प्रभावी जांच कर दोषियों को सजा दिलाई। इन मामलों में फांसी की सजा सुनिश्चित कर मिसाल पेश की गई।

पीड़ित परिवार का आर्थिक मदद लेने से इनकार

पश्चिम बंगाल के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की डॉक्टर से दुष्कर्म और हत्या के मामले में अदालत ने पश्चिम बंगाल सरकार को पीड़ित परिवार को 17 लाख रुपये की आर्थिक मदद देने का निर्देश दिया। हालांकि, पीड़ित के माता-पिता ने आर्थिक सहायता को लेने से इनकार कर दिया है। पीड़ित के माता-पिता ने अदालत के बाहर कहा, “हम इस सहायता को स्वीकार नहीं करेंगे। हमें न्याय चाहिए। यह केवल संजय की सजा नहीं, बल्कि पूरे तंत्र को जिम्मेदार ठहराने का मामला है।” अदालत ने इस मामले को “विरलतम में विरल” नहीं मानते हुए फांसी की सजा की बजाय आजीवन कारावास का फैसला सुनाया। दोषी संजय रॉय ने अदालत में खुद को निर्दोष बताते हुए कहा, “मुझे झूठे आरोपों में फंसाया गया है। मैंने कुछ नहीं किया।”