ED, बीरेंद्र राम और 6.38 करोड़ रुपए के कमिशन का पूरा खेल समझिए

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नीति आयोग की रिपोर्ट में बिहार के बाद दूसरा सबसे गरीब राज्य झारखंड है. कारण है सरकारी अधिकारियों के काम करने का मॉडल. इस मॉडल का एक ही नियम है. मैं तुम्हें टेंडर दूंगा तुम मुझे कमिशन देना. यही मॉडल पर चल रहा था बीरेंद्र राम.

पूजा सिंघल के बाद अब ईडी ने बीरेंद्र राम की जांच में कई खुलासे किए हैं. दरअसल, ईडी की छापेमारी के दौरान बीरेंद्र राम के आवास से कई पर्चियां मिली थी. जिसमें पैसे के लेनदेन का हिसाब लिखा था. उसमें से एक पर्ची पर एमजी MG लिखा था और उसके नीचे पैसे का हिसाब लिखा हुआ था. इस पर ईडी की पूछताछ में बीरेंद्र राम ने एमजी का मतलब महेंद्र गोप बताया. साथ ही राजेश कुमार का भी नाम सामने आ रहा है.

कौन है महेंद्र गोप और राजेश कुमार?

महेंद्र गोप, जमशेदपुर की कंपनी मेसर्स लॉर्डस इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड से जुड़ा है और राजेश कुमार मेसर्स राजेश कंस्ट्रक्शन और मेसर्स परमांनद कंस्ट्रक्शन का निदेशक है. ईडी ने अपने जांच में पाया कि महेंद्र गोप और राजेश कुमार वो ठेकेदार है, जिसने बीरेंद्र राम को कमिशन के रूप में कुल 6.38 करोड़ रुपए दिए थे. हालांकि, इस बारे में जब बीरेंद्र राम से पूछा गया तो उसने कहा कि उसने महेंद्र गोप से 2.40 करोड़ उधार लिया था. उस पैसे से उसे दिल्ली में जमीन खरीदना था. राम ने ये भी बताया कि उस 2.40 करोड़ में से उसने 20 लाख रुपए गोप को लौटा भी दिया था.

लेकिन जब ईडी ने महेंद्र गोप से इस मामले पर पूछताछ की तो उसने उधार वाली बात से इनकार कर दिया. साथ ही उसने बताया कि बीरेंद्र राम उसके पास कमिशन का पैसा रखता था. और उसने बीरेंद्र राम द्वारा बताए गए व्यक्ति को नवंबर 2022 और जनवरी 2023 में कुल 4.5 करोड़ रुपए दिए थे. जिसे हवाला के जरिए दिल्ली पहुंचाया गया और फिर राम ने ये पैसे अपने पिता गेंदा राम के खाते में डलवाए और उसी पैसे से संपत्ति खरीदी. बीरेंद्र राम ने अपने बेटे की स्कॉटलैंड में पढ़ाई के लिए गोप से 20 लाख रुपए लिए थे. बीरेंद्र राम अब तक 1.25 करोड़ रुपए अपने बेटे की पढ़ाई पर खर्च कर चुका है.

राजेश कुमार ने पूछताछ में कमिशन की बात स्वीकार की है. उसने बताया कि साल 2015 में राम के मदद से उसके कंपनियों को 62 करोड़ का टेंडर मिला था. जिसका कमिशन 3 परसेंट के हिसाब से 1.88 करोड़ होता है. इतने पैसे राजेश ने बीरेंद्र राम को दिए थे. राजेश ने बीरेंद्र राम को दो वीआईपी नंबर वाली गाडियां भी दी थी. छापेमारी के दौरान ईडी को बीरेंद्र राम के घर पर दो वीआईपी नंबर वाली गाड़ियां मिली थी. गाड़ी संख्या 1000. दरअसल ये दो गाड़ी बीरेंद्र राम ने राजेश कुमार से मांगी थी. लेकिन राजेश ने वो गाड़ियां कभी लौटाने को नहीं कहा.

मोबाइल से मिली ये जानकारी

पर्चियों के अलावा बीरेंद्र राम के मोबाइल से भी जानकारी मिली है, जिसमें पैसे की लेन-देन की बात सामने आई है. जिसमें लिखा था. इस नोट का हेडिंग था “लिया गया रुपया” और उसके नीचे पैसे का हिसाब. दरअसल ये नोट ठेकेदार अतिकुल अंसारी ने बनाया था. अतिकुल, बीरेंद्र के लिए कमिशन की वसूली करता था. बीरेंद्र राम ने भी इस पर अपना बयान दिया है कि ये सारा पैसा कमिशन का था. उस पर्ची में करीब 45 लाख रुपए का हिसाब लिखा हुआ था.

अब बताते हैं पर्ची में क्या लिखा था.

  • रमाकांत सिंह से सात लाख लिए.
  • 28.9.21 को चीफ इंजीनियर साहब को 4.5 लाख दिए.
  • 22.10.21 को चीफ इंजीनियर साहब को 8.40 लाख दिए.
  • 1.11.21 को चीफ इंजीनियर साहब को फाइल में तीन लाख दिए.
  • 3.11.21 को महेंद्र गोप से चीफ साहब को तीन लाख दिलाए.
  • 23.11.21 को फाइल में लाल कपड़ा बांध कर 14.05 लाख रुपए दिए.
  • 12.12.21 को घर में पांच लाख रुपया दिया हूं.

बीरेंद्र राम के व्हाट्सएप चैट से एक नाम सामने आया है. नाम है ठेकेदार अनुप राय. इन दोनों के बीच चैट को लेकर ईडी ने पूछताछ की, जहां अनुप ने स्वीकार किया है कि वह मेसर्स रॉयल इंजीनियरिंग का पार्टनर है और उसकी कंपनी को 1.78 करोड़ का टेंडर मिला था. जिसके लिए इसने 14 लाख रुपए कमिशन दिए थे.

जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी वैसे-वैसे और भी खुलासे होने की संभावना है. जितनी भी रकम मैंने आपको अभी बताया है. ये आपको महज आंकड़ा लग सकता है. लेकिन एक सरकारी अधिकारी के पास इतना अवैध पैसा होना ये समझने के लिए काफी है कि राज्य का विकास कहां रुका हुआ है.