सांसद एकनाथ ढकाल ने सरकार और माओवादी केंद्र से संक्रमणकालीन न्याय प्रक्रिया को जल्द पूरा करने का किया आग्रह

INTERNATIONAL

Ashutosh Jha

काठमांडू : प्रतिनिधि सभा (संसद) सदस्य एकनाथ ढकाल ने नेपाल में संक्रमणकालीन न्याय (ट्रांजिशनल जस्टिस) की प्रक्रिया को जल्द से जल्द निष्कर्ष तक पहुंचाने के लिए सरकार और पूर्व विद्रोही समूह नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी केंद्र) से अपील की है। संसद बैठक में बोलते हुए सांसद ढकाल ने चेतावनी दी कि शांति प्रक्रिया में हो रही देरी से गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं। उन्होंने विशेष रूप से मानवाधिकार उल्लंघन और युद्धकालीन अपराधों के मामलों को निष्कर्ष तक पहुंचाने के लिए सरकार और माओवादी नेतृत्व को गंभीर होने की आवश्यकता बताई।

सांसद ढकाल ने अपने भाषण में फिलीपींस के पूर्व राष्ट्रपति रोड्रिगो डुटेर्टे की गिरफ्तारी का उदाहरण देते हुए कहा कि नेपाल को ऐसे अंतरराष्ट्रीय मामलों से सीख लेनी चाहिए। “डुटेर्टे को ड्रग्स के खिलाफ अवैध अभियान के दौरान मानवता के खिलाफ अपराधों का दोषी पाया गया, जिसके कारण उन्हें गिरफ्तार किया गया। फिलीपींस ने अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय (ICC) से अपना नाम हटा लिया था, फिर भी डुटेर्टे को हेग की अदालत में लाया गया। नेपाल में भी संक्रमणकालीन न्याय प्रक्रिया को अनावश्यक रूप से लंबा नहीं खींचा जाना चाहिए,” सांसद ढकाल ने कहा। नेपाल में शांति प्रक्रिया के तहत सत्य निरूपण और मेलमिलाप आयोग तथा जबरन गायब किए गए लोगों की जाँच आयोग का गठन किया गया था, लेकिन अभी तक पीड़ितों को न्याय मिलने की कोई स्पष्टता नहीं है। सांसद ढकाल ने कहा कि पिछले 17 वर्षों से अनिश्चित बनी शांति प्रक्रिया को अभी तक निष्कर्ष तक न पहुँचाया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है।

“यदि सरकार और माओवादी नेतृत्व इस मामले को गंभीरता से नहीं लेते हैं, तो नेपाल में अंतरराष्ट्रीय समुदाय का हस्तक्षेप बढ़ सकता है। पीड़ितों को न्याय नहीं मिला तो यह देश में और अधिक अस्थिरता पैदा कर सकता है,” सांसद ढकाल ने कहा। सांसद ढकाल ने सरकार और माओवादी नेतृत्व से शांति प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा करने की अपील की। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि समय पर न्याय नहीं मिला, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। “सरकार इस मामले में लापरवाह दिख रही है। अगर देरी होती रही, तो पीड़ित न्याय के लिए अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का रुख कर सकते हैं। इससे नेपाल के कानूनी और राजनीतिक स्थिरता को नुकसान हो सकता है,” उन्होंने कहा। उन्होंने संक्रमणकालीन न्याय प्रक्रिया को पूरा करने के लिए ठोस कानूनी और संस्थागत सुधारों की आवश्यकता पर बल दिया। “यह मुद्दा सरकार की प्राथमिकता बनना चाहिए, अन्यथा यह अंतरराष्ट्रीय विवाद का रूप ले सकता है,” उन्होंने जोड़ा। सांसद ढकाल का यह बयान नेपाल में संक्रमणकालीन न्याय प्रक्रिया को लेकर चल रही बहस में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। अब यह देखना बाकी है कि सरकार और संबंधित पक्ष इस पर क्या कदम उठाते हैं।