दक्षिण एशिया में वैश्विक आबादी का लगभग 25% हिस्सा रहने के बावजूद ऐतिहासिक वैश्विक CO2 उत्सर्जन का केवल 4% हिस्सा : भूपेंद्र यादव

INTERNATIONAL

Ashutosh Jha

काठमांडू : केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने शुक्रवार को नेपाल के काठमांडू में आयोजित सागरमाथा संवाद के उद्घाटन सत्र में भारत का प्रतिनिधित्व किया। उच्च स्तरीय वैश्विक संवाद का विषय था ‘जलवायु परिवर्तन, पर्वत और मानवता का भविष्य’, जिसमें दुनिया भर के मंत्री और जलवायु नेता शामिल हुए। शिखर सम्मेलन में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए भूपेंद्र यादव ने वैश्विक जलवायु कार्रवाई के प्रति भारत की अटूट प्रतिबद्धता और हिमालय तथा अन्य पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्रों की सुरक्षा के लिए सहयोगात्मक प्रयासों की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने वैश्विक जलवायु संकट से निपटने के लिए भारत की प्रतिबद्धता व्यक्त की। उन्होंने कहा, “इस ऐतिहासिक सभा में भारत का प्रतिनिधित्व करना एक बड़ा सम्मान है। सागरमाथा नाम, जिसका अर्थ है ‘आकाश का सिर’, हमारे ग्रह की जीवनरेखा बनने वाले पहाड़ों की रक्षा करने की हमारी महिमा और जिम्मेदारी को सटीक रूप से दर्शाता है।” यादव ने संवाद की मेजबानी के लिए नेपाल की सराहना की और कहा कि भारत अपने विशाल हिमालयी क्षेत्र के साथ अपने पहाड़ी पड़ोसियों के साथ एक समान पारिस्थितिक और सांस्कृतिक बंधन साझा करता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि दक्षिण एशिया में वैश्विक आबादी का लगभग 25% हिस्सा रहने के बावजूद ऐतिहासिक वैश्विक CO2 उत्सर्जन का केवल 4% हिस्सा है।

मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि जलवायु संकट का बोझ असमान रूप से विकासशील देशों पर पड़ रहा है, जबकि विकसित देश जलवायु वित्त, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और क्षमता निर्माण के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने से बहुत दूर हैं। यादव ने भारत और नेपाल क्षेत्र जैसे उच्च ऊंचाई वाले पारिस्थितिकी तंत्रों की अपार जैव विविधता मूल्य पर जोर दिया। उन्होंने सीमा पार संरक्षण प्रयासों को बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया, सभी हिमालयी देशों से हिम तेंदुए, बाघ और तेंदुए जैसी प्रजातियों के लिए संयुक्त संरक्षण पहलों का समर्थन करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय बिग कैट्स एलायंस के तहत सहयोग करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “गठबंधन का उद्देश्य संरक्षण विशेषज्ञता को बढ़ावा देना, महत्वपूर्ण पहलों को निधि देना और इन प्रतिष्ठित प्रजातियों के संरक्षण के लिए ज्ञान भंडार बनाना है।” प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गई परियोजना हिम तेंदुआ के महत्व पर विचार करते हुए यादव ने कहा, “फरवरी 2020 में प्रवासी प्रजातियों पर कन्वेंशन के 13वें सीओपी में, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ऊपरी हिमालय में हिम तेंदुओं और उनके आवास की रक्षा के महत्व पर प्रकाश डाला था। इस दृष्टिकोण के अनुरूप, भारत ने अपना पहला व्यापक हिम तेंदुआ जनसंख्या आकलन किया है, जो 2019 और 2023 के बीच किया गया, जिसमें पूरे भारत में कुल 718 हिम तेंदुए पाए गए, जो वैश्विक आबादी का लगभग 10-15% है।” मंत्री ने पर्वतीय क्षेत्रों की साझा पारिस्थितिक चुनौतियों से निपटने के लिए वैश्विक कार्रवाई हेतु पांच सूत्री आह्वान भी प्रस्तुत किया।

उन्नत वैज्ञानिक सहयोग: अनुसंधान सहयोग को मजबूत करना, तथा क्रायोस्फेरिक परिवर्तनों, जल विज्ञान चक्रों और जैव विविधता की निगरानी करना। जलवायु लचीलापन का निर्माण: जलवायु अनुकूलन उपायों में निवेश, ग्लेशियल झील विस्फोट बाढ़ (जीएलओएफ) जैसी आपदाओं के लिए पूर्व चेतावनी प्रणाली, तथा पर्वतीय क्षेत्रों में जलवायु-लचीले बुनियादी ढांचे में निवेश। पर्वतीय समुदायों को सशक्त बनाना : यह सुनिश्चित करना कि स्थानीय समुदायों का कल्याण, ज़रूरतें और आकांक्षाएं नीति-निर्माण के केंद्र में हों और उन्हें हरित आजीविका और टिकाऊ पर्यटन से लाभ हो। उनका पारंपरिक ज्ञान एक अमूल्य संसाधन है। हरित वित्त उपलब्ध कराना: पर्वतीय देशों को अनुकूलन और शमन रणनीतियों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए यूएनएफसीसीसी और उसके पेरिस समझौते के अनुसार पर्याप्त और पूर्वानुमानित जलवायु वित्त उपलब्ध कराना। पर्वतीय परिप्रेक्ष्य को मान्यता देना : यह सुनिश्चित करना कि पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र की अद्वितीय कमजोरियों और योगदानों को वैश्विक जलवायु वार्ताओं और सतत विकास एजेंडा में उपयुक्त रूप से शामिल किया जाए।

यादव ने कहा, “भारत अपनी साझा पारिस्थितिक विरासत की रक्षा के लिए नेपाल और सभी पर्वतीय देशों के साथ साझेदारी करने के लिए तैयार है। वसुधैव कुटुम्बकम- दुनिया एक परिवार है- की भावना में हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे पवित्र पर्वत आशा और स्थिरता की किरण बनकर हमेशा खड़े रहें।” इस कार्यक्रम में नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली, विदेश मंत्री डॉ. आरज़ू राणा देउबा, चीन की नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के उपाध्यक्ष शियाओ जी और सीओपी 29 के अध्यक्ष एवं अज़रबैजान के पारिस्थितिकी मंत्री श्री मुख्तार बाबायेव सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया।