तेहरान ने संरा सुरक्षा परिषद में कहा-अमेरिका को अपने हिसाब से देंगे जवाब, ईरान में नेतृत्व परिवर्तन की संभावना से ट्रंप ने नहीं किया इनकार

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Eksandeshlive Desk

तेहरान/वाशिंगटन/बेरूत/काठमांडू : अमेरिकी हमले के बाद ईरान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का दरवाजा खटखटाया है। ईरान के स्थायी प्रतिनिधि और संयुक्त राष्ट्र में राजदूत अमीर सईद इरावानी ने कहा कि तेहरान के पास खुद का बचाव करने और अमेरिका और इजराइल के जबरदस्त आक्रमण का जवाब देने का वैध अधिकार सुरक्षित है। ईरान की समाचार एजेंसी मेहर के अनुसार, इरावानी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में 15 सदस्यीय निकाय से ईरान के परमाणु स्थलों पर संयुक्त राज्य अमेरिका के हमले का मुद्दा उठाया। उन्होंने निकाय से कहा कि अमेरिका की आक्रामकता गैरकानूनी कृत्य है। ईरान सिर्फ अपना बचाव कर रहा है।

अमेरिकी कार्रवाई ने वार्ता को महत्वहीन कर दिया : इरावानी ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका इस क्षेत्र में आतंकवाद का समर्थन कर रहा है। उन्होंने कहा कि ईरान के विदेश मंत्री यूरोपीय नेताओं से बातचीत कर रहे थे। अमेरिकी कार्रवाई ने इस वार्ता को महत्वहीन कर दिया। ऐसे में ईरान वार्ता की मेज पर कैसे वापस आ सकता है? इरावानी ने कहा कि ईरान अंतरराष्ट्रीय कानून के आधार पर संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके प्रॉक्सी इजरायल शासन के खिलाफ खुद का बचाव करने का अपना वैध और पूर्ण अधिकार सुरक्षित रखता है। इस्लामिक रिवोल्यूशन गार्ड्स कोर से संबद्ध ईरान की सरकारी संवाद समिति ‘तस्नीम न्यूज’ के अनुसार, विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने कहा कि अमेरिका को ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमलों के परिणामों की पूरी जिम्मेदारी लेनी होगी। तेहरान को प्रतिक्रिया के के विकल्पों का सहारा लेने का अधिकार है। उन्होंने रविवार को इस्तांबुल में प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अमेरिका ने ईरान के परमाणु स्थलों पर हमला करके सभी अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन किया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि ईरान अपनी संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता से कभी समझौता नहीं करेगा। ईरान के खिलाफ अमेरिका के दावे राजनीतिक हैं। ईरान के आईआरजीसी कुद्स फोर्स के कमांडर शहीद कासिम सुलेमानी की हत्या आतंकवादी कृत्य है।

ईरान में नेतृत्व परिवर्तन की संभावना से ट्रंप ने नहीं किया इनकार : ईरान ने अब तक यह नहीं साफ किया है कि अमेरिका के लड़ाकू विमानों ने उसे किन-किन परमाणु सुविधा केंद्र को नष्ट किया है। अमेरिका के सीधे लड़ाई में कूदन से वह एक कोने में घिरा नजर आ रहा है। इस बीच राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के नेतृत्व में बदलाव का समर्थन करने से इनकार नहीं किया। उन्होंने कहा कि इस समय अधिकारी परमाणु स्थलों पर हमलों का आकलन कर रहे हैं। द वॉल स्ट्रीट जनरल अखबार ने इस घटनाक्रम का विश्लेषण किया है। इसमें कहा कि अमेरिका के ईरान के सबसे मजबूत परमाणु स्थलों पर हमला करने के बाद अब शासन के मौलवी नेताओं के सामने एक खतरनाक विकल्प है। मौलवी नेता अमेरिका पर पलटवार करें और दो दुश्मनों (इजराइल और अमेरिका) के साथ युद्ध को बढ़ाने का जोखिम उठाएं। या परमाणु वार्ता पर वापस लौटें। अखबार का कहना है कि परमाणु वार्ता पर वापस लौटने का मतलब यह होगा कि उन्हें संभवतः परमाणु संवर्धन और उनके बैलिस्टिक-मिसाइल शस्त्रागार पर रियायतें देनी होंगी। यही देश की संप्रभुता के दो स्तंभ हैं। ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनेई ने अमेरिकी हमले के बाद अपनी पहली टिप्पणी में अमेरिका का उल्लेख कहीं भी नहीं किया। उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में इजराइल पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने कहा कि इजराइल ने एक गंभीर गलती की और इसकी उसे अभी सजा मिल रही है। इजराइल ने ईरान के सैन्य ढांचे के खिलाफ और हमलों की घोषणा की है। ईरान ने इजराइल की ओर एक और मिसाइल हमला किया है।

यूरोप के नेताओं ने ईरान से किया संयम बरतने का आग्रह : यूरोप के नेताओं ने ईरान से इस तरह से जवाब न देने का आग्रह किया जिससे क्षेत्र में अस्थिरता पैदा हो। इजराइल के हालिया सैन्य हमलों से ईरान के मिसाइल शस्त्रागार और सैन्य बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा है। बावजूद इसके ईरान के पास साइबर हमले और संभवतः आतंकवादी प्रॉक्सी, या होर्मुज जलडमरूमध्य में तेल शिपिंग को बाधित करने जैसे जवाबी हमले करने के अन्य साधन हैं। ईरान कैसे जवाब देगा, इस पर अनिश्चितता ने स्टॉक और तेल बाजारों को किनारे कर दिया, जिससे अमेरिकी वायदा थोड़ा नीचे चला गया। मैक्सार टेक्नोलॉजीज के उपग्रह चित्रों में भूमिगत फोर्डो यूरेनियम-संवर्धन परिसर के ऊपर एक रिज में कई बड़े छेद दिखाई दिए हैं और प्रवेश द्वार मलबे से अवरुद्ध हो गया है। सेंट्रीफ्यूज और अन्य उपकरणों का क्या हुआ, यह संभवतः तभी पता चलेगा जब अंतरराष्ट्रीय निरीक्षक साइट तक पहुंच पाएंगे। इस बीच ईरान के विदेश मंत्री ने कहा कि वह मॉस्को जाने की योजना बना रहे हैं और आगे के परामर्श के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिलेंगे। अमेरिका के उप राष्ट्रपति जेडी वेंस ने संकेत दिया कि ईरान का समृद्ध यूरेनियम भंडार अभी भी बरकरार है और ईरान के नियंत्रण में है। इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि इजराइल ईरान के परमाणु खतरे और बैलिस्टिक मिसाइल खतरे को नष्ट करने की दिशा में प्रगति कर रहा है। सऊदी अरब, इराक और ओमान ने संयुक्त राष्ट्र प्रमुख के साथ मिलकर अमेरिकी हमलों की निंदा की है।

तनाव कम करने की अपील, कूटनीति की वकालत : अमेरिका द्वारा रविवार को ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर किए गए हवाई हमलों के बाद दुनिया भर के कई देशों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। जहां कुछ देशों ने ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षाओं को लेकर चिंता जताई, वहीं अधिकांश देशों ने क्षेत्रीय तनाव को कम करने और वार्ता की वापसी की अपील की है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने स्थिति को “बेहद चिंताजनक” बताते हुए कहा कि यह संघर्ष तेजी से नियंत्रण से बाहर हो सकता है और इसका असर आम नागरिकों, पूरे क्षेत्र और दुनिया पर पड़ सकता है। उन्होंने स्पष्ट कहा, “इस संकट का कोई सैन्य समाधान नहीं है, केवल कूटनीति ही रास्ता है।” यूनाइटेड किंगडम के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने कहा कि ईरान परमाणु हथियार कभी हासिल न करे, यह वैश्विक सुरक्षा के लिए अनिवार्य है। उन्होंने अमेरिका के हमलों को समर्थन नहीं दिया लेकिन ईरान के परमाणु कार्यक्रम को “गंभीर खतरा” बताया। उन्होंने क्षेत्रीय स्थिरता के लिए बातचीत को प्राथमिकता दी। रूस ने हमलों को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताते हुए “कड़ी निंदा” की। रूसी सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव ने दावा किया कि कुछ देश ईरान को परमाणु हथियार देने के लिए तैयार हैं और अमेरिकी हमले ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षा को नहीं रोक सकते।

क्षेत्रीय शांति के लिए “गंभीर खतरा” : इराक ने अमेरिका की कार्रवाई को क्षेत्रीय शांति के लिए “गंभीर खतरा” बताते हुए चेतावनी दी कि यह टकराव किसी एक देश की सीमाओं से बाहर फैल सकता है। मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फत्ताह अल-सीसी ने कहा कि मध्य पूर्व में संघर्ष का विस्तार “गंभीर परिणाम” ला सकता है और शांति वार्ता की आवश्यकता पर बल दिया। सऊदी अरब ने अमेरिकी हमलों को लेकर “गंभीर चिंता” व्यक्त की लेकिन खुलकर निंदा नहीं की। विदेश मंत्रालय ने सभी पक्षों से संयम बरतने और तनाव न बढ़ाने की अपील की। कतर ने युद्ध की स्थिति पर खेद जताते हुए कहा कि “क्षेत्र की जनता अब और अधिक मानवीय संकट सहन नहीं कर सकती।” ईरान समर्थक हूती विद्रोहियों और हमास ने अमेरिका की कार्रवाई को “इस्लामी दुनिया पर जायोनिस्ट-अमेरिकी दंभ” कहा और “जिहाद व प्रतिरोध” का आह्वान किया। लेबनान के राष्ट्रपति जोसेफ औन ने चेताया कि अमेरिका के हमले “एक ऐसा क्षेत्रीय युद्ध शुरू कर सकते हैं जिसे कोई देश नहीं झेल सकता।”

“गंभीर रूप से परेशान करने वाली” कार्रवाई : पाकिस्तान ने अमेरिकी कार्रवाई को “गंभीर रूप से परेशान करने वाला” बताया और कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है। पास सरकार ने जारी बयान में कहा कि ईरान को आत्मरक्षा का अधिकार है। चीन ने भी अमेरिका की कार्रवाई की निंदा करते हुए कहा कि इससे मध्य पूर्व में तनाव और बढ़ेगा। चीन ने संघर्ष विराम और वार्ता की अपील की। यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रमुख काजा कल्लास ने कहा कि परमाणु हथियार नहीं बनने देना जरूरी है लेकिन संयम और कूटनीति ही विकल्प है। वहीं, ईयू के सदस्य देशों इटली, आयरलैंड और यूरोपीय परिषद प्रमुखों ने हमलों को “खतरनाक और अस्थिरता भरा कदम” बताया। आयरलैंड के उप प्रधानमंत्री साइमन हैरिस ने कहा कि “अब यह संघर्ष कभी भी नियंत्रण से बाहर जा सकता है।” लैटिन अमेरिकी देश वेनेज़ुएला, कोलंबिया, चिली और मेक्सिको ने अमेरिका की कार्रवाई को “अवैध और खतरनाक” करार दिया। अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर माइली ने हमलों का समर्थन करते हुए लिखा, “आतंकवाद – कभी नहीं।” जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु ईशिबा ने सीधे समर्थन से बचते हुए शांति की आवश्यकता पर जोर दिया और परमाणु हथियार रोकने की बात कही।

हिज्बुल्लाह ने ईरान के परमाणु स्थलों पर अमेरिकी हमलों की निंदा की : लेबनान स्थित ईरान समर्थित सशस्त्र गुट हिज्बुल्लाह ने अमेरिका द्वारा ईरान के प्रमुख परमाणु ठिकानों पर किए गए हवाई हमलों की तीव्र निंदा की है। संगठन ने इसे “शांतिपूर्ण परमाणु प्रतिष्ठानों पर बर्बर और विश्वासघाती हमला” करार दिया। हिज्बुल्लाह ने एक आधिकारिक बयान में कहा, “यह हमला एक लापरवाह और खतरनाक उकसावे की कार्रवाई है, जो पूरे क्षेत्र में युद्ध के दायरे को और बढ़ा सकती है।” संगठन ने ईरान और उसकी नेतृत्व व्यवस्था के साथ “पूर्ण एकजुटता” व्यक्त की है। हिज्बुल्लाह को अक्टूबर 2023 से इजराइली सैन्य अभियानों के चलते भारी नुकसान झेलना पड़ा है, जिससे उसकी सैन्य क्षमता कमजोर हुई है। इसके बावजूद, संगठन ने अमेरिका के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए ईरान के साथ अपने गठजोड़ को दोहराया है। इस बयान को पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव के बीच एक और गंभीर चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है, जहां पहले ही इजराइल-ईरान संघर्ष के साथ अमेरिका की सैन्य भागीदारी हालात को विस्फोटक बना रही है।

नेपाल के वामपंथी दलों ने संयुक्त वक्तव्य में ईरान पर हमले के लिए अमेरिका की निंदा की : नेपाल के वामपंथी दलों ने संयुक्त वक्तव्य में ईरान पर हमले के लिए अमेरिका की निंदा की है। संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है कि अमेरिकी साम्राज्यवाद ने विश्व शांति पर हमला किया। संयुक्त वक्तव्य में अमेरिका के साथ इजराइल की भी निंदा की गई है। इसमें कहा गया है कि इजराइल अपनी विस्तारवादी नीति नहीं छोड़ रहा है। यह वक्तव्य नेपाल की माओवादी पार्टी सहित राष्ट्रीय जनमोर्चा, नेपाल कम्युनिष्ट पार्टी, एकीकृत समाजवादी पार्टी, क्रांतिकारी कम्यूनिष्ट पार्टी जैसे एक दर्जन दलों ने जारी किया है। वामपंथी दलों ने नेपाल सरकार से हमले के विरोध में बयान जारी करने की मांग की है। साथ ही संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय निकायों से अमेरिका पर दबाव बनाकर हस्तक्षेप करने की मांग की है।