झारखंड विधानसभा में पेश सीएजी रिपोर्ट में खुलासा, कई विभागों ने खर्च नहीं की बजट की 23 प्रतिशत राशि

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Eksandeshlive Desk

रांची : झारखंड विधानसभा में सोमवार को नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट पेश की गयी। रिपोर्ट में यह खुलाशा हुआ कि राज्य की हेमंत सोरेन सरकार के विभिन्न विभागों ने वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान बजट की 23.14 प्रतिशत खर्च ही नहीं किए। विधानसभा में पेश सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि एक लाख 41 हजार 498.79 करोड़ रुपये के कुल प्रावधानों में से एक लाख आठ हजार 754.44 करोड़ रुपये विभागों द्वारा खर्च किए गए। वहीं, वर्ष 2022-23 के दौरान 57 मामलों में 13 हजार 499.10 करोड़ रुपये के पूरक प्रावधान (प्रत्येक मामले में 0.50 करोड़ रुपये से अधिक) अनावश्यक साबित हुआ, क्योंकि व्यय मूल प्रावधानों के स्तर तक भी नहीं आया था।

राज्य का समग्र ऋण-जीएसडीपी अनुपात बढ़ा : रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य का समग्र ऋण-जीएसडीपी (सकल राज्य घरेलू उत्पाद) अनुपात जो 2019-20 में 30.42 प्रतिशत से बढ़कर 2020-21 में जीएसडीपी का 36.23 प्रतिशत हो गया था। यह 2021-22 से घटता रहा और 2023-24 में पांच साल के निचले स्तर 27.68 प्रतिशत पर पहुंच गया। वर्ष 2023-24 में एक विनियोग (धन का आवंटन) के तहत 268.02 करोड़ का अतिरिक्त खर्च हुआ था। इसे नियमित करने की जरूरत थी। इसके अलावा, वित्त वर्ष 2001-02 से 2022-23 से संबंधित 3.778.41 करोड़ रुपये के अलावा अतिरिक्त संवितरण (किसी विशेष धन या निधि से पैसे का भुगतान करना) को अभी नियमित किया जाना है। रिपोर्ट के अनुसार गैर-प्रतिबद्ध व्यय के भीतर 2023-24 में सब्सिडी 4,831 करोड़ रुपए थी। यह कुल राजस्व व्यय का 6.30 प्रतिशत थी। वहीं 2023-24 के दौरान ऊर्जा पर सब्सिडी, कुल सब्सिडी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा (48 प्रतिशत) थी।

कंपनियों ने निर्धारित समय-सीमा का पालन नहीं किया : सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि निर्धारित समय अवधि के भीतर सहायता अनुदान के विरुद्ध उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा करने की आवश्यकता के बावजूद, 31 मार्च 2024 तक एक लाख 33 हजार 161.50 करोड़ रुपए के 47,367 उपयोगिता प्रमाण पत्र लंबित थे। इसी प्रकार से संक्षिप्त आकस्मिक (एसी) बिल के माध्यम से निकाले गए अग्रिम धन के विरुद्ध विस्तृत आकस्मिक (डीसी) बिल जमा करने की जरूरत के बावजूद, 31 मार्च 2024 तक चार हजार 891.72 करोड़ रुपए के 18,011 एसी बिल के विरुद्ध डीसी बिल लंबित थे। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि झारखंड में 32 एसपीएसई (तीन गैर-कार्यशील सरकारी कंपनियां) थीं। 31 अक्टूबर 2024 तक 30 एसपीएसई, जिनके 107 खाते बकाया थे। इन कंपनियों द्वारा वित्तीय विवरण प्रस्तुत करने के संबंध में निर्धारित समय-सीमा का पालन नहीं किया गया।

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