जानें इन दो बहनों की सिपाही से IPS बनने तक के सफर की कहानी

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आपने एम एस धोनी फिल्म का वो गाना तो सुना ही होगा खेलोगे कूदोगे तो बनोगे नवाब, फिलहाल झारखंड के संदर्भ में ये गाना बिल्कुल सटीक बैठता है,क्योंकि झारखंड में अब खेल से लोग नवाब बनते जा रहे हैं. कहने का तात्पर्य ये है कि झारखंड में दो महिला सिपाही सरोजनी लकड़ा और एमेल्डा एक्का पदोन्नत होकर IPS बनने वाली है. हम खेल की बात इसलिए कर रहे थे क्योंकि ये महिला एथलीट अपने समय में खेल कोटा से ही सिपाही बनी थी. और सिपाही से धीरे धीरे प्रोमोट होकर आईपीएस बनने की राह तक आ चुकी हैं.

दैनिक अखबार प्रभात खबर की रिपोर्ट के अनुसार राज्य पुलिस सेवा के 24 अफसरों की प्रोन्नति आइपीएस में होने जा रही है. बता दें बीते सोमवार को यूपीएससी और झारखंड के आलाधिकारियों के बीच एक बैठक हुई और इसी बैठक में सरोजनी लकड़ा और एमेल्डा एक्का के आइपीएस बनने के फैसले पर मुहर लगी है.

रिपोर्ट्स के मुताबिक दोनों एथलीट लातेहार जिला की रहने वाली हैं. दोनों ने अपने समय में कई तरह खेलों जैसे हाई जंप,लॉंग जंप,दौड़ जैसे खेलों में बहुत उम्दा प्रदर्शन किया था और कई मेडल जीतकर राज्य का नाम रौशन किया था. इन्होंने खेल में अपनी प्रतिभा दिखाकर ही सिपाही से आइपीएस बनने तक का सफर तय किया है.

दिसंबर 1986 में सरोजनी लकड़ा और एमेल्डा एक्का स्पोर्ट्स कोटा से बिहार पुलिस में सिपाही के पद पर बहाल हुई थीं. इसके बाद दोनों ने खेल में अपना परचम लहरा दिया. इन दोनों के प्रतिभा को देखते हुए इन्हें आउट ऑफ टर्म प्रमोशन दिया गया .जिसके बाद 1991 में दोनों को सीधे इंस्पेक्टर बना दिया गया. फिर साल 2008 में इन्हें इंस्पेक्टर से डीएसपी के पद पर प्रमोट किया गया. 2019 में प्रोन्नत होकर दोनों एएसपी भी बनीं.

बात सरोजनी लकड़ा की करें तो वर्तमान में वे डिपार्टमेंट में प्रभारी एसपी और खेल विभाग में निदेशक के पद पर हैं. वहीं एमेल्डा एक्का फिलहाल एंटी करप्शन ब्यूरो में अपनी सेवा दे रही हैं.

खबरों की माने तो सरोजनी लकड़ा और एमेल्डा एक्का को आइपीएस 2017 बैच आवंटित किया गया है. फिलहाल अधिसूचना की औपचारिकता बाकी है. बता दें संबंधित विभाग की ओर से इनके आईपीएस बनने की सूचना जारी कर दी गई है लेकिन इन्होंने अब तक पद्भार ग्रहण नहीं किया है.

इनकी कहानी से राज्य के युवा खिलाड़ियों को अच्छा संदेश मिलेगा. अब खिलाड़ियों को उनके घर वाले उन्हें ताने तो नहीं मारेंगे. और अब घर वाले ये भी नहीं कह पाएंगे कि खेलोगे कूदोगे तो बनोगे खराब. अब खेल से भी आपके आगे बढ़ने की अपार संभावनाएं हैं. राज्य के एथलीट को इनसे प्रेरणा लेनी चाहिए और अपने उज्जवल भविष्य के लिए मेहनत करनी चाहिए.