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रांची: झारखण्ड में झारखण्ड मुक्ति मोर्चा गठबंधन की सरकार ने अपने कार्यकाल में राज्य के अनुसूचित जातियों को दरकिनार किया। पिछली रघुवर दास की सरकार ने राज्य के अनुसूचित जातियों पर अत्याचार को रोकने के लिए अनुसूचित जाति आयोग का गठन किया था । जैसे ही झारखण्ड मुक्ति मोर्चा गठबंधन की सरकार बनी आयोग को बंद कर दिया गया। जिसके कारण प्रताड़ना और अत्याचार के लगभग 4000 केस लंबित है। उक्त बातें एन एफ डब्लू एसएस के नेशलन प्रेसिडेंट डॉ सहदेव राम ने प्रेस विज्ञाप्ति के माध्यम से कही। उन्होंने कहा कि जब उच्च शिक्षा के लिए छात्रों को विदेश भेजने की बात आई तो अनुसूचित जाति के छात्रों को नजरअंदाज किया गया। इतना ही नहीं सरकार के विभिन्न विभागों के अनुसूचित जातियों के प्रोन्नति में भी अनियमितता बरती जाने की सूचना है। वहीं अपने सरकार में अनुसूचित जातियों के मंत्री पद का प्रतिनिधित्व देने से इंकार किया तथा अनुसूचित के वरिष्ठ विधायक बैजनाथ राम को अपमानित किया गया, जो सरकार के नियत को दशार्ता है। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी जी देश में जनगणना की बात करते हैं और उसके अनुसार भागीदारी की बात करते हैं, इस विषय पर कहना चाहेगें कि झारखण्ड में 40 लाख से अधिक अनुसूचित जाति की संख्या है जिसमें लगभग 24 लाख रविदास जाति की संख्या है। क्यों नहीं आबादी के अनुसार इनको प्रतिनिधित्व दिया जा रहा है, सरकार की इस मांशिकता के कारण राज्य के अनुसूचित जातियों ने सरकार के प्रति उदासीनता और आक्रोश व्याप्त है, जिसका जबाव आने वाले चुनाव पर पड़ेगा।
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