एनसीएसटी जब तक सिरमटोली फ्लाईओवर के रैंप मामले की जांच कर रही है, तब तक इस योजना को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता : आशा लकड़ा

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Eksandeshlive Desk

रांची : कानूनी प्रविधान के तहत जब तक राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) सिरमटोली फ्लाईओवर के रैंप मामले की जांच कर रही है, तब तक इस योजना का न तो उद्घाटन किया जा सकता है और न ही किसी प्रकार का निर्माण कार्य। जनजातीय सामाजिक संगठन व केंद्रीय सरना समिति के साथ आयोजित बैठक के दौरान ये बातें राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) की सदस्य डॉ. आशा लकड़ा ने कही। 

मंगलवार को मोरहाबादी स्थित आर्यभट्ट सभागार में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि यह जनजातीय समाज का हुंकार है। धर्म व समाज के अगुवा जागरूक हैं। जिस प्रकार सिरमटोली स्थित केंद्रीय सरना स्थल पर अटैक हुआ, उससे आदिवासी समाज के लोग दुखित हैं। मैं भी इससे काफी दुखित हूं। पूरे देश में 12 करोड़ आदिवासी हैं। हमें आदिवासियों की रूढ़ीवादी परंपरा के साथ उन्हें संरक्षित करना है। यदि सिरमटोली स्थित केंद्रीय सरना स्थल की जगह बालाजी मंदिर होता तो उसे कोई रोक नहीं पाता। एनसीएसटी आदिवासी समाज के संरक्षण, सुरक्षण, संस्कृति व आरक्षण की बात करता है। साथ ही विकास योजनाओं की समय-समय पर समीक्षा करती है, और केंद्र व राज्य सरकार को सलाह भी देती है। जहां आदिवासी के अधिकार का हनन होता है तो आयोग सरकार के समक्ष अपनी बात रखता है। उन्होंने यह भी कहा कि मैने झारखंड के 22 जिलों का भ्रमण किया। संबंधित जिलों में तेजी से डेमोग्राफी बदल रहा है।आयोग की ओर से चार जिलों की रिपोर्ट भी तैयार की गई है।आदिवासी समुदाय के समक्ष माटी, बेटी, रोटी व संस्कृति का अस्तित्व खतरे में है। उन्होंने
आदिवासी समाज के लोगों से अपील करते हुए कहा कि कानून को अपने हाथ में न लें। संवैधानिक तरीके से अपना आंदोलन करें। मौके पर एनसीएसटी के विधिक सलाहकार सुभाशीष रशिक सोरेन, अनुसंधान अधिकारी प्रदीप कुमार दास, आइटीडीए के प्रोजेक्ट डायरेक्टर संजय भगत,  पूर्व विधायक गंगोत्री कुजूर, केंद्रीय सरना समिति चडरी के अध्यक्ष बबलू मुंडा, मुख्य पाहन हातमा जगलाल पाहन, आरती कुजूर, रवि मुंडा, फूलचंद तिर्की, निरंजना हेरेंज, रवि तिग्गा इत्यादि उपस्थित थे।
पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव ने कहा कि हमारे पुरखों ने हमारी रूढ़ीवादी परंपरा को संजोकर रखा। मुख्य सरना स्थल की भूमि 46 डिसमिल है। 150 से अधिक समय से यह खतियान में भी दर्ज है। 1967 में दिवंगत पूर्व केंद्रीय मंत्री कार्तिक उरांव ने अतिक्रमणकारियों से छुड़ाकर वहां पूजा कर सरहुल की शोभायात्रा निकाली थी, जो आज तक जारी है। वर्तमान में सिरमटोली फ्लाईओवर के नाम पर सरना स्थल की 10 फीट जमीन करा आधिग्रहण किया जा चुका है।सरना स्थल परिसर में घटिया निर्माण कराया गया है, जिसके कारण सभी भी हादसा हो सकता है। उन्होंने राष्ट्रीय
अनुसूचित जनजाति आयोग की सदस्य डा. आशा लकड़ा से आग्रह करते हुए कहा कि इस समस्या का निराकरण किया जाए और आदिवासी समाज को प्रताड़ित व अपमानित न किया जाए।
फूलचंद तिर्की ने कहा कि आदिवासियों के धार्मिक स्थल, परंपरा व संस्कृति को बचाया जाए।जनजाति समाज को संरक्षित करें और सिरमटोली फ्लाईओवर के रैंप को हटाया जाए। उन्होंने कहा कि उपायुक्त रांची की ओर से
कहा गया था कि रैंप को अस्थाई तौर पर हटाया जाएगा, लेकिन राज्य सरकार के दबाव में रैंप निर्माण कार्य पूरा कर
दिया गया। अभी भी डीपीआर में संशोधन कर फ्लाईओवर के रैंप को आगे या पीछे किया जा सकता है।